दुनिया की सबसे ऊंची इमारत में ‘शुरुआत’ से है ये बड़ी कमी, कभी बुर्ज खलीफा जाएं तो रहें सावधान!

विश्व की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा, दुबई में स्थित है, जिसे देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक आते हैं। दुबई दुनिया के सबसे अमीर और उन्नत शहरों में से एक है। दुबई में विश्व की सबसे ऊंची इमारत के अलावा रेगिस्तान के मध्य बसा दुबई मॉल विश्व का सबसे बड़ा मॉल है। यहाँ पर लगभग 1200 दुकाने मौजूद है। इस मॉल में घूमने के प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में लोग आते है।

दुनिया की गगनचुंबी इमारत बुर्ज खलीफा की ऊंचाई 828 मीटर है, जिसका निर्माण 21 सितंबर, 2004 को शुरू हुआ था। इसे बनाने में लगभग 6 साल का समय और 8 अरब डॉलर राशि का खर्च हुआ। बुर्ज खलीफा का आधिकारिक उद्घाटन 4 जनवरी, 2010 को हुआ और दुबई के डाउनटाउन में मौजूद इस बिल्डिंग को 2010 में पब्लिक के लिए खोला गया। इसका नाम यू.ए.ई. के प्रेसिडेंट खलीफा बिन जाएद अल नाहयान के नाम पर रखा गया।

इससे जुड़ी दिलचस्प बात यह भी है कि इस इमारत के निर्माण के समय इसका नाम बुर्ज दुबई था लेकिन बिल्डिंग को वित्तीय सहायता देने वाले संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायेद अल नाहयान के सम्मान में उद्घाटन के समय इस बिल्डिंग का नाम बुर्ज दुबई से बुर्ज खलीफा कर दिया गया।

यह इस्लामिक आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है। दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का खिताब अपने नाम करने वाली दुबई की ये बिल्डिंग विजनरी आइडिया और साइंस का बेहतरीन कॉम्बिनेशन है। बुर्ज खलीफा बेजोड़ इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। इमारत के निर्माण में लगभग 12,000 मजदूरों ने प्रतिदिन काम किया। इमारत की बाहरी क्लैडिंग 26000 ग्लास पैनलों से बनी है। शीशे के इन आवरण के लिए चीन से खासतौर पर 300 क्लैडिंग स्पेशलिस्टों को बुलाया गया था।

163 मंजिलों वाली यह इमारत दुनिया के सबसे ज्यादा तलों वाली इमारत भी है। इसी के साथ दुनिया की सबसे ऊंची फ्रीस्टैंडिंग इमारत, सबसे तेज और लंबी लिफ्ट, सबसे ऊंची मस्जिद, सबसे ऊंचा स्वीमिंग पूल और सबसे ऊंचे रेस्टोरेंट का खिताब भी बुर्ज खलीफा के नाम ही है। यहां पर शॉपिंग मॉल, थिएटर की भी सारी सुविधाएं मौजूद हैं।इस बिल्डिंग में एक कमी भी है।

 

इस बिल्डिंग में जो सबसे बड़ी कमी है वो है इसका सीवेज सिस्टम। इसे जानबूझ कर नहीं लगाया गया। अगर सीवेज सिस्टम लगाया गया होता तो इस प्रोजेक्ट में और ख़र्च बढ़ जाते। जब बुर्ज खलीफा का काम पूरा हुआ तो दुबई 2008 के आर्थिक संकट के प्रभावों से जूझ रहा था। लिहाजा यह फैसला लिया गया कि इसे शहर के पहले से ही गड़बड़ी से जूझ रहे सीवर सिस्टम में जोड़ने की लागत, पैसे की अनावश्यक बर्बादी थी। निर्माताओं को विश्वास था कि सीवर सिस्टम में सुधार करने की तुलना में हर दिन कचरे को बाहर निकालना एक सस्ता विकल्प होगा।

दुनिया की सबसे लग्जरी बिल्डिंग होने के बावजूद यह दुबई के सीवेज सिस्टम से जुड़ी नहीं हैं। लिहाजा इसके सीवेज को साफ करने का तरीका बेहद पुराना और ‘गंदा’ है। हर रोज गंदगी साफ करने वाले ट्रकों की कतार इस झिलमिलाते आलीशान टॉवर में आती है और इमारत के सीवेज को ट्रकों में भरकर ले जाया जाता है। यहां से इस कचरे को शहर से बाहर ले जाया जाता है।

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