पंजाब विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं. सभी राजनीतिक दलों ने चुनावी जंग में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है. वहीं नेताओं की पार्टी बदलने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. इसी कड़ी में पंजाब में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है. भाजपा पंजाब कार्यकारिणी सदस्य और रोपड़ जिला प्रभारी सुशील शर्मा पिंकी सैकड़ों सहयोगियों के साथ बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए। बहुजन समाज पार्टी पंजाब के अध्यक्ष जसवीर सिंह गढ़ी ने कहा कि पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं को उचित सम्मान दिया जाएगा.
‘पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आना प्राथमिकता’
पंजाब बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष जसवीर सिंह गढ़ी ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता गठबंधन को पूर्ण बहुमत से सत्ता में लाना है. सत्ता में भागीदारी की दिशा मायावती ही तय करेंगी. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम पंजाब में कभी ताकत नहीं बन सके। 1992 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो हम राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थे।
हमारे पीछे शिरोमणि अकाली अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी थी। 1996 के लोकसभा चुनाव के लिए शिरोमणि अकाली दल ने हमारे साथ गठबंधन किया। तब हमारे मोर्चे ने राज्य की 13 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की थी, बाद में पंजाब के राजनीतिक समीकरण बदल गए। दो मजबूत गठबंधनों के गठन ने बहुजन समाज पार्टी को कमजोर कर दिया क्योंकि वह किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं थी।
‘सोच कर बनाया गठबंधन’
जसवीर सिंह गढ़ी ने कहा कि पंजाब में बहुजन समाज पार्टी और शिरोमणि अकाली दल गठबंधन को जरूर सफलता मिलेगी. क्योंकि हम न तो किसी को धोखा देते हैं और न ही हम किसी से छल की उम्मीद करते हैं। पंजाब में शिरमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन काफी सोच-समझकर किया गया है। मतों के आदान-प्रदान को लेकर दोनों राजनीतिक दलों के बीच कोई संशय नहीं है।
हमने 1996 के लोकसभा चुनाव में वोटों की अदला-बदली करके 13 में से 11 सीटें जीती थीं। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी और उसकी नेता मायावती हर उस जमात के साथ खड़ी हैं, जिनके साथ अन्याय हुआ है. यूपी में ब्राह्मणों के साथ बहुत अन्याय हो रहा है। किसान बिल के जरिए बीजेपी किसानों का हक छीन रही है, वहीं बसपा भी किसानों के साथ है.
SAD 97 और बसपा 20 को चुनाव लड़ेगी
पंजाब में लंबे समय के बाद शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं। 117 सीटों वाली विधानसभा में शिरोमणि अकाली दल 97 सीटों पर और बहुजन समाज पार्टी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। गौरतलब है कि पंजाब में सबसे ज्यादा दलित आबादी है। पंजाब दलित राजनीति को धार देने वाले कांशीराम की जन्मस्थली भी है। फिर भी बहुजन समाज पार्टी पंजाब में उतनी ताकत नहीं बन पाई, जितनी यूपी में थी।