जिस तालिबान को पाकिस्तान ने महान बताया था उसी ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद पर कब्जा करके अपना झंडा फहरा दिया।

एक बड़ी खबर सामने आ रही है दरअसल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की नाक के नीचे इस्लामाबाद में तालिबानी अमीरात इस्लाम के झंडे करा दिए गए हैं! यह मामला इस्लामाबाद के साथ पाकिस्तान के कई शहरों में दिखाई दिया है! प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पुलिस सब कुछ आंखें मूंदे देखती रह गई! इस्लामाबाद के अंदर तालिबान के झंडे फहराना इमरान सरकार के लिए काबुल से ज्यादा खतर नाक है!

ध्यान रहे आपको कि TTP पाकिस्तान के अंदर सरिया सरकार लाने का पहले ही अल्टीमेटम दे चुका है कि TTP पाकिस्तान के पुलिस और फौजी ठिकानों पर लगातार हम ला भी कर रहा है पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में तालिबानी झंडे लाल मस्जिद की इमारतों पर कराए गए हैं!

टीटीपी को पाकिस्तान की लब्बैक पार्टी का खुला समर्थन प्राप्त है। इमरान खान ने लब्बाइक पार्टी पर प्रति बंध लगा दिया, लेकिन भारी प्रति रोध का सामना करने के बाद, आंतरिक मंत्री शेख राशिद को लब्बाइक के सामने घुटने टेकने पड़े। अफगान तालिबान और पाकिस्तानी सरकार के बीच घनिष्ठ संबंधों के बीच, कुछ का कहना है कि अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के संबंध और भी गहरे और मजबूत हैं।

शायद इसीलिए अफगानिस्तान की जेलों में बंद सभी टीटीपी आतंकियों को रिहा कर दिया गया है। ये सभी आ तंकी पाकिस्तान लौट आए हैं। इन सभी की वापसी से पाकिस्तान में आ तंक की एक नई लहर आने की आशंका जताई जा रही है. टीटीपी और बीएलए के खात्मे के लिए पाकिस्तानी सेना ने रादुल फसाद नाम से सैन्य अभियान चलाकर आतंकियों के खात्मे का ऐलान किया था।

अब समझा जा रहा है कि पाकिस्तान में एक बार फिर टीटीपी पूरी ताकत से हमला करेगा। तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता संभालने से पहले ही टीटीपी पाकिस्तान के कई जिलों के लिए अपने गवर्नरों के नामों की घोषणा कर चुका है। यह भी कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन की स्थापना से पाकिस्तान में सुन्नी और वहाबी उग्रवाद बढ़ेगा। लोग धर्मगुरुओं के हाथ की कठ पुतली बन जाएंगे। पाकिस्तान में एक बार फिर फूड वॉर यानी गृह यु-द्ध शुरू होने जा रहा है.

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