गुंडों की पिटाई कर असल जिंदगी में लॉयन बन गया था ये एक्टर, विलेन के किरदार से हुआ लोकप्रिय

हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे अभिनेता हुए हैं, जो आज भी अपनी बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी के लिए याद किए जाते हैं। आज हम जिस अभिनेता की बात कर रहे हैं ‘उन्हें पूरा देश लॉयन के नाम से जानता है।’ अगर आपको ये मशहूर डायलॉग और इसे अपने बोलने के तरीके से खास बनाने वाला अभिनेता याद आ गया होगा। तो आप समझ गए होंगे कि हम अभिनेता अजीत खान के बारे में बात कर रहे हैं। अजीत एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने अपनी ज्यादातर फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया और उनका मशहूर संवाद ‘सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है’ आज भी लोगों के जेहन में है। आपने अजीत खान को फिल्मों में तो हीरो से पिटते हुए खूब देखा होगा लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि पर्दे पर विलेन के किरदार से मशहूर इस अभिनेता ने असल जिंदगी में गुंडों की धुनाई कर दी थी। जी हां, आज अजीत खान से जुड़ा ये दिलचस्प किस्सा हम आपको बताने जा रहे हैं।

फिल्म ‘कालीचरण’ में जब अभिनेता अजीत खान ने ये डायलॉग बोला था, तभी से दर्शक उनके मुरीद हो गए थे। अजीत खान फिल्मों में हीरो और विलेन दोनों ही किरदारों को निभाने के लिए मशहूर थे। अजीत खान का असली नाम हामिद अली खान था। फिल्मों में काम करने के लिए उन्होंने अपना नाम अजीत रख लिया था। अजीत खान का एक यही ‘लॉयन’ वाला ही डायलॉग नहीं था, जो मशहूर हुआ हो उनके और भी डायलॉग थे जो लोगों की जुबां पर रहते थे। जो कि ‘मोना डार्लिंग’, ‘लिली डोंट बी सिली’ थे।

अजीत को बचपन से ही एक्टर बनने का शौक था। अपने इसी सपने को साकार करने के लिए अजीत घर से भागकर मुंबई आ गए थे। बता दें कि उनपर एक्टिंग का जुनून इस तरह से सवार था कि उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए अपनी किताबें तक बेच डाली थी। साल 1940 में अजीत खान ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ फिल्मों में बतौर हीरो काम किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

उन्होंने फिल्मों में विलेन का रोल निभाया शुरू किया और इसमें उन्हें पसंद किया गया। उनकी कद काठी और बोलने का तरीका सब कुछ लोगों को विलेन के किरदार के लिए पसंद आने लगा। अजीत खान को पहचान मिल गई। अजीत ने विलेन और उसके किरदार की हिंदी सिनेमा में ऐसी परिभाषा गढ़ी, जो हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया

अजीत खान जब एक्टर बनने का सपना लिए मुंबई आये थे तो उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। ऐसे में उन्होंने सीमेंट बनी पाइपों में रहना शुरू कर दिया था। उन दिनों लोकल एरिया के गुंडे उन पाइपों में रह रहे लोगों से हफ्ता वसूली किया करते थे और जो पैसे देता था उसे ही वहां रहने की इजाजत मिलती थी। जिनके पास पैसे नहीं होते थे उन्हें गुंडी पीटकर निकाल देते थे। एक दिन ये देखकर अजीत को गुस्सा आया और उन्होंने गुंडों की जमकर धुनाई कर दी। बस फिर क्या था वहां के लोग अजीत की इज्जत करने लगे

अजीत ने 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और उनमें से ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने विलेन का रोल निभाया। अजीत खान को फिल्म ‘कालीचरण’ से सही मायने में पहचान मिली थी। इसके अलावा उन्होंने ‘नास्तिक’, ‘मुगल ए आजम’, ‘नया दौर’ और ‘मिलन’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। इसके बाद 22 अक्टूबर, 1998 को हिंदी सिनेमा के इस सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

अजीत खान के कुछ खास डायलॉग-

फिल्म- आजाद
‘जिंदगी सिर्फ दो पांव से भागती है…और मौत हजारों हाथों से उसका रास्ता रोकती है।’

फिल्म- जंजीर
‘आओ विजय, बैठो और हमारे साथ एक स्कॉच पियो…हम तुम्हे खा थोड़ी जाएंगे…वैसे भी हम वैजिटेरियन हैं।’

फिल्म- जंजीर
‘कुत्ता जब पागल हो जाता है तो उसे गोली मार देते हैं।’

फिल्म- बेताज बादशाह
‘लम्हों का भंवर चीर के इंसान बना हूं, एहसास हूं मैं वक्त के सीने में गढ़ा हूं।’

फिल्म- राज तिलक
‘जिनकी रगो में राजपूती खून होता है, उनके जिस्म पर दुश्मन के दिए हुए घाव तो होते है, लेकिन उनकी तलवार कफन की तरह कोरी नहीं होती।’

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