बॉलीवुड फ़िल्में विलेन के बिना अधूरी है, और यह चलन साठ के दशक से चल ते आ रहा है। खासकर 80 और 90 दशक की फिल्मों में विलेन का किरदार हीरो से भी दमदार हुआ करता था। आपको बता दें कि बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक ‘विलेन’ हुये हैं, लेकिन डैनी डेंज़ोंग्पा की बात ही अलग है।
80 और 90 के दशक की बॉलीवुड फ़िल्मों में डैनी अपनी ख़ूंख़ार एक्टिंग से फ़िल्म के हीरो को भी दहशत में डाल देते थे।डैनी ने फ़िल्म के हीरो से पंगा लेने से लेकर स्मगलिंग और करने तक वो सब काम किया जो उस दौर में हिंदी फ़िल्मों के विलेन किया करते थे। फ़िल्मों में ख़ूंख़ार नज़र आने वाले डैनी असल ज़िंदगी में बेहद सरल स्वभाव के शख्स हैं।
डैनी डेंज़ोंग्पा का असली नाम ‘शेरिंग फ़िनसो डेंज़ोंग्पा’ है, और उनका जन्म 30 फरवरी 1948 में हुआ था और यह भुटिया जाति से ताल्लुक रखते हैं। अगर इनकी एजुकेशन की बात करें तो इन्होंने नैनीताल के बिरला विद्या मंदिर से अपनी शुरुआती पढ़ाई की थी जिसके बाद दार्जिलिंग के सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएट हुए थे|
बचपन से ही डैनी को डांसिंग और सिंगिंग का शौक था, जिस वजह से उन्होंने पुणे के फिल्म और टीवी इंस्टीट्यूट में ऐडमिशन लिए। आपको बता दें कि उसी दौरान उनकी मुलाकात जया भादुरी से हुई, धीरे-धीरे उनके बीच अच्छी खासी दोस्ती हो गई और उन्होंने डैनी को सुझाव दिया कि अपना नाम ‘शेरिंग फ़िनसो डेंज़ोंग्पा’ से बदलकर डैनी डेंज़ोंग्पा रख ले।
साल 1971 में आई फिल्म जरूरत के जरिए डैनी ने हिंदी फिल्म जगत में कदम रखा था, पर इस फिल्म के बाद उसी साल की दूसरी फिल्म मेरे अपने में नजर आने के बाद डैनी को असल लोकप्रियता हासिल हुई| इसके बाद साल 1973 में आई फिल्म धनु में एक अहम भूमिका निभाने के बाद दैनिक का कैरियर काफी ऊंचाइयों पर चला गया|
आप को बता दें कि,कई फिल्मों में नेगेटिव रोल निभाते हुए भी अभिनेता ने खूब लोकप्रियता हासिल की और एक विलेन के रूप में इन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में गजब की कामयाबी भी हासिल की है।डैनी डिसूजा को अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है| और असल जिंदगी में वह एक अच्छे सिंगर, चित्रकार, मूर्तिकार और लेखक भी हैं|