Lal Bahadur Shastri Jayanti Special: देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री। वह महापुरुष जिसने पाकिस्तान को धूल चटा दी। आज ही के दिन 1966 में उन्होंने हमें हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। 11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनका निधन हो गया। इससे ठीक 12 घंटे पहले उन्होंने पाकिस्तान के साथ यु द्ध समाप्त करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे (ताशकंद घोषणापत्र)। बताया गया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन उन्हें ज हर देने की भी आशंका थी।
चीन के साथ 1962 के यु द्ध से सबक लेते हुए भारत ने पाकिस्तान को 65 में हरा दिया। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया। उनके आह्वान पर देशवासियों ने एक समय के लिए अन्न त्याग दिया था। पाक से जंग खत्म करने का दबाव बनाते हुए अमेरिका ने गेहूं की सप्लाई रोकने की धम की दी थी, जिसके बाद उसने यह फोन किया। वह झुके नहीं। करारी हार झेलने के बाद, पाकिस्तान एक समझौता करना चाहता था और भारत के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद, उज्बेकिस्तान में एक बैठक तय की गई थी।
12 घंटे के निपटारे के बाद निधन
पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के 12 घंटे के भीतर शास्त्री जी की मृ त्यु हो गई। पाक राष्ट्रपति अयूब खान और शास्त्री जी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। 10 जनवरी को हस्ताक्षर करने के बाद देर रात उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। डॉक्टरों ने उन्हें एक इंजेक्शन दिया और 11 जनवरी को रात 1.32 बजे उनकी मौ त हो गई। बताया गया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें एक बार पहले भी दिल का दौरा पड़ा था। लेकिन कुछ लोग उनकी मौ त के पीछे सा जिश को भी मानते हैं।
परिवार को शक
हालांकि ऐसा कहा जाता था कि शास्त्री जी की मौ त दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, लेकिन ऐसे कई कारण थे जिनसे उनके परिवार को ह त्या का शक हुआ। जाने-माने पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपने एक कॉलम में लिखा है कि जब वह ताशकंद से लौटे तो शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री ने पूछा कि शरीर नीला क्यों हो गया है। उन्होंने बताया कि ऐसा बर्फ में रखने की वजह से होता है। तब ललिता शास्त्री ने शास्त्री के शरीर पर क ट के निशान के बारे में पूछा। उन्हें भी इस बारे में कुछ पता नहीं था। इसके बाद उन्होंने ह त्या का शक जताया। उन्होंने यह भी पूछा कि उनका पोस्ट मॉर्टम क्यों नहीं किया गया।
सच्चाई आज तक नहीं पता
शास्त्री के परिवार ने ह त्या की साजिश का पता लगाने के लिए जांच की मांग की। उन्होंने दावा किया कि शास्त्री जी को खाने में ज हर दिया गया था। लेकिन बार-बार गुहार लगाने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। संसद में भी कई बार इस मुद्दे को उठाया गया था, लेकिन आज तक सच्चाई का पता नहीं चल पाया है।