पिछले 2 दिनों से उत्तराखंड की सरकार इस बात को लेकर मंथन कर रही है कि किस प्रकार से राज्य के अंदर बढ़ रही गैर हिंदू आबादी के ऊपर रोक लगाई जाए! इस मामले को लेकर शासन स्तर पर दो हम बैठकर भी हो चुकी है शासन स्तर पर हुई भू-कानून संबंधी पहली बैठक में पहाड़ों और मैदानी क्षेत्र में बस रहे बाहर के लोगों पर रोक लगाने के प्रावधानों के बारे में विषय सूची तैयार की गई है!
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने बार बार कहा कि उत्तराखंड के अंदर एक सशक्त भू कानून की आवश्यकता है! उन्होंने इस मामले में जानकार एवं अनुभवी लोगों की टीम भी बना दी है! वहीं दूसरी महत्वपूर्ण बैठक शासन स्तर पर यह हुई जिसके अंदर चर्चा हुई है कि धार्मिक नगरों और खास तौर पर मैदान एक धार्मिक नगरी हो के आसपास मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है! जिससे सामाजिक असंतुलन बढ़ने लग गया है! शासन ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह ऐसे लोगों की पड़ताल करें जो छंद नाम से यहां रह रहे हैं और दूसरे देशों से आकर बस रहे हैं!
ऐसे में प्रशासन का संकेत सीधा बांग्लादेशी और रोहिंग्या की तरफ है जो कि सरकार के लिए पहले से ही सिरदर्द बना हुआ है खबर तो यह है कि हरिद्वार में गंगा किनारे ऐसे लोग बसे हो सकते हैं! वहीं शासन के पास खुफिया जानकारियां भी आ रही है कि एक सा जिश के तहत मुस्लिम असम की तर्ज पर उत्तराखंड में बताए जा रहे हैं! वही शासन नहीं इस बारे में पुलिस एवं अन्य जांच एजेंसियों से भी रिपोर्ट मांगी है!
वहीं जानकारी के अनुसार सरकार पर भर्ती हुई मुस्लिम आबादी को लेकर खासा दबाव है! राज्य के अंदर भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और यह मुद्दा अब चुनावी मुद्दा भी बनता जा रहा है खबर तो यह है कि शासन स्तर पर यह भी विचार किया जा रहा है कि देवभूमि का स्वरूप बनाए रखने के लिए क्या सरकार धार्मिक आस्था के शहरों पर गैर हिंदू लोगों के द्वारा संपत्ति खरीदने पर पाबंदी लगा सकती है?