तालिबान सरकार में आपसी फूट, राष्ट्रपति भवन में मुल्ला बरादर के साथ हुई बद सलूकी

Mutual rift in Taliban government, Mullah Baradar misbehaved in Rashtrapati Bhavan: अफगानिस्तान में लगभग 20 सालों के बाद एक बार फिर से तालिबान का आगमन हुआ है और तालिबान ने अफगानिस्तान में सरकार भी बना ली है! जब से अफगानिस्तान में तालिबान आया है तभी से सुर्खियों का हिस्सा रहा है वही पूरी दुनिया तालिबान को लेकर काफी चिंतित भी हैं और कुछ देर तालिबान के समर्थन में भी खड़े हुए हैं!

वहीं तालिबान के गठन करने में जिन लोगों का हाथ है उनमें से एक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर भी है! यह वह इंसान हैं जो कि तालिबान के हर अहम ल ड़ाई का हिस्सा रहा है लेकिन खबर यह आ रही है कि उस पर काबुल में राष्ट्रपति भवन में ला त घूं से बरसाए गए! खबर तो यह भी है कि तालिबान की सरकारों में हक्कानी गुट का वर्चस्व इस कदर बढ़ गया है कि उसी के एक कमांडर ने बरादर पर ला त घूं से बरसा दिए!

वही आपको याद ही होगा कि पिछले हफ्ते अब्दुल गनी बरादर के निधन की खबर भी आई थी लेकिन उसके बाद में खुद उन्होंने वीडियो जारी करके इन खबरों का खंडन भी कर दिया था लेकिन अब अमेरिकन मीडिया में यह भी खबर सुर्खियों में रही है कि काबुल में राष्ट्रपति भवन में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के साथ हा-था पाई हुई है!

आखिर मामला कहा सुरु हुआ ?

दुनिया यह तो बड़ी अच्छे से जानती है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान का एक जाना माना चेहरा रहा है अमेरिका के साथ बातचीत में लगातार शामिल रहा है! अफगानिस्तान और अमेरिका और उनके सहयोगी मुल्लाह अब्दुल गनी अफगानिस्तान में तालिबान की आवाज होगा! यह उम्मीद भी जताई थी कि वह तालिबानी कैबिनेट में गैर तालिबान नेता और जातीय अल्प संख्यकों को भी हिस्सा देगा!

अंग्रेजी के अखबार ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अंदर कहा गया है कि अब्दुल गनी बरादर को तालिबान में सॉफ्ट स्टैंड वाला नेता माना जाता है और अमेरिका और कई देशों से उम्मीद थी कि देश की कमान अब्दुल गनी के हाथ में ही सौंपी जाएगी लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ!

जब अंतरिम सरकार की लिस्ट सामने आई तो खुद अब्दुल गनी बरादर को डिप्टी पीएम का पद ही मिल पाया इसके पीछे का कारण यह दिया गया कि अब्दुल गनी अमेरिका के दबाव में आ सकता है और आने वाले समय में वह तालिबान की सरकार के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है ऐसा कहने वाले मुख्य रूप से पाकिस्तान समर्थित हक्कानी गुट के नेता थे जिन्हें अंतरिम सरकार में गृह मंत्रालय समेत चार मंत्रालय मिले हैं!

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