Will Americans no longer be able to eat eggs? अपने आप को सुपर पावर कहने वाला अमेरिका पहले तो अफगानिस्तान में अपनी किरकिरी करा चुका है और अब भारत भी उस को बड़ा झटका दे सकता है! दरअसल अमेरिका के भारत के साथ व्यापारिक वि वाद बढ़ने की वजह से वहां पर जल्द ही इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है! मांगा तो यह जा रहा है कि भारत के साथ व्यापार के संबंध में वि वाद बढ़ने की वजह से अमेरिका को नुकसान हो सकता है! मिल रही जानकारी के अनुसार अमेरिकन को अंडों के लिए अब ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है!
अमेरिका जोकि मुर्गियों को खिलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला जैविक सोया भोजन का 40% से अधिक उत्पाद भारत पर निर्भर है वह अब इस दावे की जांच कर रहा है कि यदि भारत गलत तरीके से उत्पाद को डंप कर रहा है और अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचा रहा! मर्कारिस के अर्थशास्त्र के निदेशक रयाँ कुरी के अनुसार इसके पीछे महत्वपूर्ण टैरिफ नियम होने की संभावना है जो कि जैविक बाजारों को ट्रैक करता है यह ड राने वाले व्यापारी हैं जो की प्रतिक्रिया के रूप में सोया की जमाखोरी कर रहे हैं जिसकी वजह से हम मांग में उछाल और आपूर्ति में कमी आ सकती है उसका नतीजा यह होगा कि अमेरिका के अंदर की कीमत काफी ज्यादा बढ़ जाएगी!
ऐसे समय में उपभोक्ताओं को जैविक अंडों के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है तो वहीं पारंपारिक अंडों की कीमत में भी खुदरा मांग में वृद्धि होने के कारण इजाफा हुआ है! सोया भोजन में वृद्धि होने से जैविक मां स और यहां तक कि डेहरी प्रोडक्ट भी महंगे हो सकते हैं और इसके पीछे खाद्य मुद्रास्फीति में आई वह वृद्धि है जो की महामारी शुरू होने के बाद से दुनिया भर में व्याप्त हो गई है!
अमेरिका को दिक्कत है क्या होने वाली है?
अमेरिका में अंडे के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक, अमेरिका के एग इनोवेशन के प्रमुख जॉन ब्रुनक्वल ने कहा कि “हमने किसी तरह अपने खेत पर एक लाख से अधिक पक्षियों को खिलाने में कामयाबी हासिल की है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसके लिए, मैं 1700 डॉलर प्रति टन की दर से पैसा खर्च करना पड़ता है, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है। यानी अगर अंडे का निर्माता अधिक खर्च करेगा, तो जाहिर है कि वे अंडे की कीमत में वृद्धि करेंगे और इसका असर आम लोगों पर होगा।
अमेरिका में जैविक पक्षी-भोजन सोयाबीन की कीमत शुक्रवार को $ 29.92 प्रति बुशल हो गई, जो एक साल पहले से 47% अधिक थी। इसके पीछे का कारण न केवल भारत के साथ व्यापार तनाव है, साथ ही शिपिंग में समस्याएं भी हैं पिछले डेढ़ वर्षों में कोरोना महामारी भी जिम्मेदार है।ब्रनक्वेल का अनुमान है कि पक्षियों को खिलाने की लागत के लिए अकेले खाते में एक दर्जन जैविक अंडे पैदा करने की औसत उत्पादन लागत 15 सेंट से बढ़कर 20 सेंट हो गई।