केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए), 2010 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए प्रमुख सुन्नी नेता शेख अबुबकर अहमद से जुड़े केरल स्थित गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के विदेशी वित्त पोषण लाइसेंस को निलंबित कर दिया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। मरकजुल इघासथिल कैरियाथिल हिंडिया नाम का एक एनजीओ कोझीकोड के पास स्थित है। यह एक शीर्ष विदेशी वित्त पोषित संगठन है। इस संस्था को पिछले तीन साल में विदेशों से 146 करोड़ रुपये से ज्यादा का डोनेशन मिला है। हालांकि, गृह मंत्रालय ने एनजीओ को एफसीआरए मानदंडों का उल्लंघन करते हुए पाया। इसके बाद इसने बिना किसी पूर्व अनुमति के या निलंबन आदेश रद्द होने तक किसी भी अंतरराष्ट्रीय दाताओं से धन प्राप्त करने से रोक दिया।
EXCLUSIVE: MHA suspends foreign funding licence of Kerala NGO Markazul Ighasathil Kairiyathil Hindiyya, linked to prominent Sunni leader Sheikh Aboobacker Ahmed, over FCRA violations like misutilisation/diversion of funds & non-filing of returns; NGO recd Rs 146 cr in last 3 yrs pic.twitter.com/gxSXPkXPBD
— Bharti Jain (@bhartijainTOI) September 4, 2021
27 अगस्त, 2021 को जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि एनजीओ ने एफसीआरए मानदंडों के उल्लंघन में विदेशी योगदान का अनुचित उपयोग किया और वर्ष 2019-20 के लिए वार्षिक एफसीआरए रिटर्न जमा करने में भी विफल रहा।
एनजीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गृह मंत्रालय से मिले निलंबन आदेश को तुच्छ समझने की कोशिश की। अधिकारी ने कहा कि कुछ लिपिकीय त्रुटियों के कारण निलंबन हुआ। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि समूह आदेश पढ़ने के बाद स्पष्टीकरण जारी करेगा।
हालांकि, एक सरकारी अधिकारी, जिनसे टाइम्स ऑफ इंडिया ने बात की, ने कहा कि मरकज़ुल के एफसीआरए लाइसेंस को निलंबित करने का निर्णय एक उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद लिया गया था। 05.04.2018 को एनजीओ को प्रश्नों की एक सूची भेजी गई थी। अधिकारी ने कहा कि सवालों के जवाब ने पुष्टि की कि एसोसिएशन ने एफसीआरए की धारा 12(4)(ए)(vi), धारा 18 और धारा 19 का उल्लंघन किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जमीन की खरीद के लिए एसोसिएशन को 50 लाख रुपये का विदेशी फंड मिला। हालांकि, 13.01.2015 को जमीन का सौदा रद्द होने पर राशि एनजीओ को वापस कर दी गई थी। यह राशि विदेशी योगदानकर्ता के बैंक खाते में जमा नहीं की गई थी। मरकजुल ने कहा कि अनाथ देखभाल कार्यक्रम के लिए पैसे बांटे गए। हालांकि, एनजीओ की जांच और रिकॉर्ड से पता चला कि नकद हस्तांतरण राशि प्राप्त होने से छह महीने पहले जुलाई 2014 और दिसंबर 2014 के बीच ही किया गया था।
गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है, “रद्द किए गए भूमि विलेख के कारण प्राप्त 50 लाख रुपये की राशि का हिसाब नहीं है और ऐसा लगता है कि इसका दुरुपयोग किया गया है। यह एफसीआरए की धारा 12(4)(ए)(vi), धारा 18 और धारा 19 का उल्लंघन था।
एसोसिएशन पर व्यक्तिगत जरूरतों के लिए समूह द्वारा प्राप्त धन का उपयोग करने का भी आ रोप है। गृह मंत्रालय ने एफसीआरए की धारा 12(4)(ए)(vi) का एक और उल्लंघन बताते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि वाहन को संगठन के पैसे से किसी व्यक्ति के नाम पर खरीदा गया था, न कि एसोसिएशन के नाम पर। आदेश में यह भी कहा गया है कि एनजीओ ने इस्लामिक एजुकेशन बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा वक्फ बोर्ड ऑफ इंडिया से लीज पर ली गई जमीन पर इमारत के निर्माण के लिए विदेशी फंड का इस्तेमाल किया था।
इसके अलावा, मार्कजुल ने वर्ष 2019-20 के लिए अपना वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं किया, जो कि एफसीआरए की धारा 18 का उल्लंघन है। शेख अबुबकर अहमद उर्फ कंथापुरम एपी अबुबकर मुसलियार केरल के राजनेताओं में एक प्रमुख व्यक्ति हैं और उनके अनुयायियों द्वारा उन्हें ‘भारत का ग्रैंड मुफ्ती’ कहा जाता है।
उन्हें 2000 में मरकज़ुल की स्थापना का श्रेय दिया जाता है और वे शिक्षा, सांस्कृतिक बहाली, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य और स्वच्छता आदि जैसे क्षेत्रों से संबंधित कार्यों में शामिल हैं। वे जामिया मरकज़ के कुलाधिपति, सिराज डेली के अध्यक्ष और अखिल भारतीय महासचिव भी हैं।