High Court gave advice to Munawwar Rana: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कवि मुनव्वर राणा की गिर फ्तारी पर रोक लगाने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है. राणा के खिलाफ वाल्मीकि समाज को आहत करने वाले बयान देने के आ रोप में हजरतगंज थाने में मामला दर्ज किया गया है. जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए मुनव्वर राणा को सलाह भी दी कि जो काम उनके पास है, वहीं किया जाए.
राणा ने 20 अगस्त को हजरतगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और जांच के दौरान अपनी गिर फ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उनके वकील से कहा कि आप लोग ऐसी बातें क्यों बोलते हैं. तुम्हारा जो भी काम है करो। यह संवेदनशील मामला है। यह बताते हुए पीठ ने अधिवक्ता से कहा कि याचिका में कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता। आप जा सकते हैं और अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह कहते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
‘संविधान ने दी अभिव्यक्ति की आजादी’
राणा की ओर से यह तर्क दिया गया कि संविधान ने उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है, जिसे आप राधिक कार्यवाही शुरू करके दबाया नहीं जा सकता है। उनकी ओर से बताया गया कि राजनीतिक कारणों से प्राथमिकी दर्ज की गई है. वहीं, याचिका का विरोध करते हुए लोक अभियोजक एसएन तिलहरी ने तर्क दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार स्वतंत्र नहीं है और याचिकाकर्ता द्वारा दिया गया बयान समाज के लिए उक साने वाला और अप मान जनक है.
राणा ने कहा था
मुनव्वर राणा ने अपने एक बयान में कहा था कि भारत को अब भी पाकिस्तान से ड रने की जरूरत है, अफगानिस्तान से नहीं। तालिबान का कश्मीर से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जी पहले क्या थे और बाद में क्या बने? तालिबान पहले ही बदल चुका है। अब माहौल पहले जैसा नहीं रहा।