Braking News :- नहीं सुधरा तालिबान तो इस साल भारत के पास होगा सेना के बड़े एक्शन का मौका, जानिए पूरा मामला

अफगानिस्तान में आज तालिबान की सरकार बनने जा रही है और तालिबान ने कहा है कि नमाज के बाद नई सरकार का ऐलान किया जाएगा. वहीं चीन ने तालिबान की सरकार बनने से पहले आर्थिक मदद देने का वादा किया है, वहीं संकेत हैं कि अगर तालिबान अफगानिस्तान की जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने देता है तो दिसंबर 2022 में भारत सरकार अफगानिस्तान में सेना ला सकती है।

तालिबान पर भारत की राय

अफगानिस्तान में बदले हुए हालात और वैश्विक परिदृश्य के बीच भारत सरकार तालिबान को लेकर बेहद सावधानी से कदम उठा रही है। अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर भारत अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों के साथ खड़ा है और भारत सरकार को भी उनका समर्थन लगातार मिल रहा है. अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारत सरकार द्वारा किए गए कार्यों की बार-बार सराहना की है।

वहीं अगस्त के महीने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष भारत थे और तालिबान को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पारित प्रस्ताव में भारत समेत 13 देशों ने तालिबान को आतंकवादी संगठन नहीं माना, जबकि चीन और रूस ने प्रस्ताव पर मतदान किया। भाग नहीं लिया, यानी भारत सरकार की नजर तालिबान पर है और तालिबान को मौका देने के मूड में है।

भारत पर तालिबान की राय

एक तरफ भारत सरकार तालिबान के रवैये पर नजर रखे हुए है तो वहीं तालिबान भारत को लेकर असमंजस में नजर आ रहा है. तालिबान चाहता है कि इसे भारत द्वारा मान्यता दी जाए। क्योंकि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश से मान्यता मिलने का मतलब तालिबान के लिए वैश्विक दरवाजे खोलना होगा। इसलिए तालिबान लगातार भारत पर दबाव बनाने के लिए अपने बयान में बदलाव कर रहा है। काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने भारत को लेकर कई तरह के बयान दिए हैं।

सबसे पहले, तालिबान द्वारा आधिकारिक तौर पर कहा गया था कि वे भारत के खिलाफ अफगानिस्तान की भूमि के उपयोग की अनुमति नहीं देंगे। फिर तालिबान का बयान भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को लेकर आता है कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं आएगा, लेकिन तालिबान ने एक बार फिर अपना बयान बदल दिया है।

कश्मीर पर तालिबान का ताजा बयान

तालिबान पहले भी बयान देता रहा है कि वह जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पैर नहीं रखेगा और भारत और पाकिस्तान को मिलकर कश्मीर के मुद्दे को सुलझाना चाहिए। लेकिन, बीबीसी से बात करते हुए तालिबान अपने नज़रिए से पीछे हट गया है. बीबीसी से बात करते हुए तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि उसे जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज़ उठाने का अधिकार है.

तालिबान के एक प्रवक्ता ने कहा कि तालिबान किसी भी देश के खिलाफ सश स्त्र अभियान चलाने की उसकी नीति का हिस्सा नहीं है, लेकिन उसे कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है। यानी तालिबान साफ ​​तौर पर अपनी बात से मुकर गया है और ऐसे में इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि आने वाले समय में तालिबान के आ तंकी कश्मीर की तरफ बढ़ें या पाकिस्तानी आतं कियों का साथ दें. इसलिए भारत तालिबान को लेकर लगातार सतर्क है और पूर्व भारतीय राजनयिक अकबरुद्दीन भी इसके पक्ष में है।

क्या भारत सैनिकों को उतारेगा?

अगस्त के महीने में भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष था और भारत ने इस एक महीने में पाकिस्तान और चीन को बहुत परेशान किया है। UNSC के अध्यक्ष को वैश्विक निर्णय लेने का विशेषाधिकार प्राप्त है। भारत दिसंबर 2022 में एक बार फिर UNSC का अध्यक्ष बनने जा रहा है और अगले डेढ़ साल यह देखने के लिए काफी होंगे कि भारत और दुनिया के प्रति तालिबान का रवैया कैसा रहने वाला है।

यदि तालिबान आतं कवादी गति विधियों के लिए अफगानिस्तान की भूमि के उपयोग की अनुमति देता है, तो दिसंबर 2022 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में, भारत को अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र बलों को उतारने का अधिकार होगा। और अगर भारत UNSC की सेना को वापस अफगानिस्तान लाने का फैसला करता है, तो पूरी दुनिया की सेना को अफगानिस्तान में उतरना होगा। जिसमें पाकिस्तान और चीन की सेना को भी शामिल करना होगा।

About dp

Check Also

भारत के लिए चिंता का विषय, अफ़ग़ानिस्तान के शरणार्थी अपने साथ लेकर आये बिमारी, इतने केस निकले

अफगानिस्तान में तालिबान के आ जाने के बाद से भारत के 146 नागरिक कतर की …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *