इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) से धार्मिक शिक्षा पर फंडिंग को लेकर कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पूछा कि क्या एक धर्मनिरपेक्ष राज्य मदरसों को फंड दे सकता है? क्या संविधान के अनुच्छेद 28 के तहत मदरसे धार्मिक शिक्षा और पूजा प्रणाली प्रदान कर सकते हैं?
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर दिया। मदरसे ने अतिरिक्त पदों पर भर्ती के लिए मांगी गई अनुमति को खारिज करने के योगी सरकार के फैसले को चुनौती दी थी.
Allahabad High Court seeks UP Govt's response in 4 week's time over state funding of religious educational institutions like madarsas, especially whether the state funding to madrasas and other religious institutions is consistent with the Indian Constitution’s secular scheme pic.twitter.com/v7TO92nquT
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 2, 2021
हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने योगी सरकार से यह भी पूछा कि क्या मदरसों में महिलाओं को प्रवेश मिलता है। यदि नहीं, तो क्या यह भेदभावपूर्ण नहीं है? हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्या स्कूलों में खेल मैदान रखने के अनुच्छेद 21 और 21ए की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है? क्या सरकार अन्य धार्मिक अल्प संख्यकों के धार्मिक शिक्षण संस्थानों को फंडिंग कर रही है? कोर्ट ने पूछा कि क्या मदरसे संविधान के अनुच्छेद 25 से 30 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मों की आस्था की रक्षा कर रहे हैं?
मौलवी सूफियान निजामी ने दी प्रतिक्रिया-
वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलवी सूफियान निजामी ने कहा, “अदालत को यह समझने की जरूरत है कि मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती. इसके अलावा राज्य सरकार अन्य समुदायों से जुड़े त्योहारों और धार्मिक आयोजनों पर भी पैसा खर्च करती है।”