भारत में रह रहे अफगानिस्तान के नागरिक इस समय एक अजीब ही स्थिति में फंस चुके हैं कुछ का वीजा खत्म होने वाला है तो कोई अफगानिस्तान में रह रहे अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं सब यह समझते हैं कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां उनका भविष्य सुरक्षित ही नहीं रह गया है और वह वहां जाकर भी नहीं लौट सकते हैं ऐसे अफगानी नागरिकों में जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र भी हैं उनको उम्मीद है कि उनके हालातों को देखते हुए यदि उनका वीजा अवधि बढ़ा दी जाए तो उनके लिए फिलहाल कोई रास्ता निकल सकता है लेकिन परेशानी उस समय पैदा होगी यदि उनका पासपोर्ट भी लेप्स कर जाएगा!
दिल्ली के जेएनयू में कम से कम 22 अफगानी छात्र अपने देश वापस नहीं लौटना चाह रहे हैं और वह अपने कोर्स के जरिए वीजा की मियाद बढ़वाना ड़वाना चाह रहे हैं इन अफ़गानिस्तान छात्राओं को चिंता यह है कि कुछ ही महीनों में उनका वीजा एस्पायर करने वाला है इनमें से ज्यादातर वीजा दिसंबर के महीने में ही खत्म हो रहा है!
लेकिन सूत्रों के अनुसार तालिबान के काबुल पहुंचने की वजह से वहां की जो स्थिति बनी हुई है उसके चलते लौटने की किसी की भी हिम्मत नहीं हो पा रही है! इसलिए पीएचडी जैसे कोर्ट के जरिए यह चाहते हैं कि इनका वीजा बढ़ा दिया जाए जेएनयू के छात्र का कहना है कि अफगानिस्तान जैसे यु द्ध ग्रस्त देश में ज्यादातर लोग पूरी तरीके से बेरोजगार हैं और वहां से भागने की कोशिश कर रहे हैं!
स्टूडेंट के सामने समस्या यह है कि उन्हें 23 सितंबर तक हॉस्टल खाली करने पड़ेंगे और पैसों की तंगी के चलते वह कैंपस के बाहर रहने को लेकर अनिश्चित है! जलालुद्दीन नाम के 1 छात्रों का कहना है कि वहां के हालात बेहद ही ज्यादा खराब है मुझे उम्मीद है कि प्रशासन हमारी हालत को समझेगा और मेरा वीजा पर मिटा देना यही नहीं बल्कि विदेश छात्रों के लिए जेएनयू से पीएचडी करना भी काफी महंगा है और गरीब परिवारों के लिए निश्चित ही कोई रास्ता नहीं है! वैसे मुझे इस समय सही नहीं मालूम कि क्या करना है!
अगर स्टूडेंट का वीजा खत्म हो जाता है तो कोई नए परमिट मिलने तक ना तो कोई काम कर सकता है और ना ही कोई पढ़ाई कर सकता है यही नहीं बल्कि यह भी इस पर निर्भर है कि पासपोर्ट की मियाद ना खत्म हो जाए क्योंकि स्टडी परमिट भी पासपोर्ट की अवधि खत्म होने के बाद नहीं बनाई जा सकती!