कर्नाटक के बेलगावी में स्थित नियाज होटल ने अपनी बिरयानी को बढ़ावा देकर हिंदू संतों की छवि खराब करने की कोशिश की है। विज्ञापन में एक व्यक्ति को भगवा वस्त्र पहने एक संत के वेश में आसन पर बैठे देखा जा सकता है और अन्य सभी उसे अपने अनुयायी के रूप में सुन रहे हैं। नियाज के विज्ञापन में लिखा है, “गुरुजी, नियाज चखने के बाद कहते हैं बलिदान नहीं बिरयानी देना होगा।” यानी संत को बिरयानी इतनी पसंद आई है कि वह अब बलिदान नहीं बल्कि बिरयानी मांग रहे हैं.
इस पोस्ट को नियाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी शेयर किया था। इसमें लिखा था, “हमारी बिरयानी दूसरी बिरयानी को कहती है- अहम् ब्रहास्मि।” अब इस पोस्ट के बाद हिंदू संगठनों ने हंगामा किया है. हिंदू कहते हैं कि इस तरह के विज्ञापन का क्या मतलब है। यह उनकी आस्था को ठेस पहुंचाने की पूरी कोशिश है।
Biryani Ad With Hindu Saint's Image by 'Niyaaz Hotel' Sparks Outrage in Karnatakahttps://t.co/MD8jIQkBPR#BiryaniAd #NiyaazHotel #Karnataka #HinduSaint
— LatestLY (@latestly) August 13, 2021
इलाके में किसी भी तरह की हिं सा को रोकने के लिए पुलिस ने शहर के होटलों को बंद कर दिया है और दुकान के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई है. वहीं विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने होटल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस आयुक्त को ज्ञापन भी सौंपा है. इस मामले में कुछ स्थानीय बीजेपी नेता भी हिंदुओं से आगे बढ़कर विरोध दर्ज कराने को कह रहे हैं. उन्होंने इस मामले में प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
इस नाराजगी को देखते हुए पुलिस ने मौके पर पुलिस बल तैनात कर दिया है। इस बीच नियाज होटल ने विवा दित पोस्टर भी हटा दिया है और अपनी गलती के लिए माफी मांगते हुए वीडियो जारी किया है। नियाज ग्रुप के एमडी इरशाद सौदागर इस वीडियो में कहते हैं कि वह उन लोगों से माफी मांगते हैं, जिनका दिल इस (विज्ञापन) से आहत हुआ है.
उन्होंने बताया कि मुंबई में एक एजेंसी है जो सोशल मीडिया को हैंडल करती है और उसी का उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट है. वही लोग इस पोस्ट को क्रिएटिव बनाकर शेयर करते हैं। वह कंपनी की गलती के लिए ईमानदारी से माफी मांगते हुए कहते हैं कि उनका काम 30-40 साल से चल रहा है और उनके ग्राहक हर समुदाय से हैं, साथ ही उनके कर्मचारी भी हर समुदाय से हैं। उन्होंने आगे कहा कि नियाज समूह अब यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी कोई गतिविधि, यहां तक कि अनजाने में, प्रचार के माध्यम से या अन्यथा न हो।