नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में एथलेटिक्स में भारत का पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने भाला फेंक में 87.58 मीटर के स्कोर के साथ गोल्ड जीतते ही इतिहास भी रच दिया। वह अभिनव बिंद्रा के बाद ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय बन गए हैं।
राजपूताना की शान बने नीरज
चोपड़ा भारतीय सेना में 4 राजपूताना राइ फल्स में सूबेदार हैं। 2016 में उन्हें नायब सूबेदार के पद पर एक जूनियर कमीशंड अधिकारी के रूप में चुना गया था। आमतौर पर भारतीय सेना किसी खिलाड़ी को जवान या गैर-कमीशन अधिकारी के पद पर भर्ती करती है, लेकिन नीरज की क्षमता को देखते हुए उसे सीधे नायब सूबेदार के पद पर नियुक्त किया गया।
General MM Naravane #COAS and All Ranks of #IndianArmy congratulate Subedar Neeraj Chopra on winning Nation’s first ever #GoldMedal in #Javelin in Olympics with a throw of 87.58 meters at #TokyoOlympics.#MissionOlympics#Tokyo2020 pic.twitter.com/HUotK29P4K
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) August 7, 2021
ये मेडलिस्ट भी भारतीय सेना का हिस्सा थे
भारत को ओलंपिक पदक दिलाने में सेना की अहम भूमिका रही है। नीरज चोपड़ा से पहले एथेंस ओलंपिक के रजत पदक विजेता निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौर, 2012 लंदन ओलंपिक के कांस्य निशानेबाज विजय कुमार भी भारतीय सेना के हैं। इतना ही नहीं महान धावक मिल्खा सिंह ने भी सेना में भर्ती होने के बाद ही अपनी प्रतिभा को निखारा। हालांकि हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद भी आर्मी से थे, लेकिन टीम इवेंट में मेडलिस्ट थे।
मेडल जीतने पर नीरज ने क्या कहा?
चोपड़ा ने तीन दिन पहले क्वालीफिकेशन में टॉप किया था। उन्होंने फाइनल में और भी बेहतर प्रदर्शन किया। 87.58 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास से प्रथम स्थान प्राप्त किया। 23 वर्षीय चोपड़ा ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा, ‘विश्वास नहीं हो रहा है। यह पहली बार है जब भारत ने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता है। इसलिए मैं बहुत खुश हूं। हमारे पास अन्य खेलों में केवल एक ओलंपिक स्वर्ण है।