आज तुलसी घोड़ा ने इस बात को साबित कर दिया है कि इंसान के व्यक्तित्व की पहचान मेहंदी कपड़े और सानू शाखों से नहीं होती है बल्कि उसके कामों से की जाती है हाल ही में तुलसी को पदम श्री अवार्ड से नवाजा गया है वहीं उनका प्रकृति के प्रति प्यार किसी से छिपा नहीं है हैरान कर देने वाली बात यह है कि उन्हें औषधी शास्त्र की बिना शिक्षा प्राप्त किए ही सारी जानकारियां हैं यहां तक कि वह युवाओं को इसके बारे में शिक्षा भी देती है वही तुलसी घोड़ा ने अपना बचपन प्रकृति के साथ बिताया है!
वही तुलसी घोड़ा का प्रकृति के संरक्षण के प्रति समर्पण देखकर उनको वन विभाग में स्थाई तौर पर नौकरी पेशकश की गई थी हालांकि शुरुआत में वह अस्थाई रूप से वन विभाग में एक स्वयंसेवक के नाते काम करने लग गई थी उन्हें औषधि गुणों वाले पौधों का काफी ज्ञान है और इस ज्ञान के कारण ही उन को जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया के नाम से भी पुकारा जाने लग गया! राष्ट्रपति भवन में जब महिला का सम्मान किया गया तो महिला की सात्विकता को देखकर हर कोई हैरान था!
वही तुलसी घोड़ा नौगांव में चप्पल और ना ही महंगी कपड़े पहनती है वही राष्ट्रपति भवन जब पहुंची तो खाली पैर और शरीर पर एक कपड़ा लपेटे ही राष्ट्रपति महोदय से पदम श्री पुरस्कार स्वीकार किया वहीं तुलसी घोड़ा कर्नाटक की हल्की स्वदेशी जनजाति से संबंध रखती है इन्होंने अपने पूरे जीवन में अब तक लाखों पेड़ लगाए हैं और उन पर गहन अध्ययन भी किया है!
जानकारी के लिए बता दें कि सोमवार को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में पदम पुरस्कार दिए गए हैं और इन पुरस्कारों में पाने वाले 29 महिलाएं थी और एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी था वही राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में देश के प्रधानमंत्री भी मौजूद रहे!