सुप्रीम कोर्ट ने देश के मशहूर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी और उनके परिवार के सदस्यों को मुंबई में उन्हें दी जा रही सुरक्षा जारी रखने की इजाजत दे दी है. शीर्ष अदालत ने इस मामले में त्रिपुरा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के आधार पर जारी मामले की सुनवाई को खारिज कर दिया. याचिका में मुकेश अंबानी और उनके परिवार को शीर्ष श्रेणी की सुरक्षा देने को लेकर सवाल उठाए गए थे। मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत को बताया गया कि शीर्ष व्यवसायी अपनी सुरक्षा का खर्च सरकार को देते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक जनहित याचिका पर त्रिपुरा उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की अपील को स्वीकार कर लिया। पीठ ने कहा कि इस तरह की याचिका पर सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है, खासकर तब जब अंबानी परिवार सुरक्षा खर्च खुद उठा रहा हो। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता विकास साहा की ओर से पेश वकील से पूछा, आपके द्वारा (इस मामले में) याचिका दायर करने का क्या औचित्य है और आप सुरक्षा को लेकर चिंतित क्यों हैं? यह किसी और की सुरक्षा का मामला है.
अंबानी परिवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था (अंबानी परिवार के लिए) को चुनौती देने वाली याचिका ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है। उन्होंने कहा कि यह परिवार सुरक्षा का खर्च खुद वहन कर रहा है. साल्वे ने कहा कि आरआईएल प्रमुख देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक चलाते हैं। इसमें 40-50 लाख लोग कार्यरत हैं। साल्वे ने कहा कि हम जानते हैं कि आज किस तरह के हालात हैं। पश्चिमी देशों के विपरीत, निजी सुरक्षा गार्ड उन्नत और उच्च स्तरीय हथियार नहीं रख सकते। साल्वे ने कहा कि सरकार अंबानी को सुरक्षा मुहैया कराने पर जो भी खर्च करती है, उसका पूरा भुगतान किया जाता है.