राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत पर ईडी अपनी पकड़ मजबूत कर रही है. ईडी ने अग्रेसन गहलोत के खिलाफ समन जारी किया है। साथ ही उन्हें पूछताछ के लिए कार्यालय बुलाया गया है। दरअसल ईडी ने उर्वरक घोटाले के सिलसिले में अग्रसेन गहलोत के प्रतिष्ठानों पर तलाशी अभियान चलाया है. ईडी ने आखिरी बार जुलाई में राजस्थान समेत कई जगहों पर अग्रसेन गहलोत के ठिकानों पर छापे मारी की थी.
आपको बता दें कि इस छापे मारी को लेकर कांग्रेस ने काफी विरोध भी किया है. कांग्रेस का कहना है कि यह विशुद्ध रूप से राजनीतिक है। केंद्र सरकार जानबूझकर केंद्रीय जांच एजेंसियों की मदद से कांग्रेस सरकार से जुड़े लोगों को परेशान कर रही है।
उर्वरक घोटाले से जुड़े हैं अग्रसेन गहलोत
दरअसल उर्वरक घोटाला मामले में ईडी ने गहलोत के भाई अग्रेसन गहलोत के घर, दफ्तर और अन्य जगहों पर छापे मारी की है. उर्वरक घोटाले को लेकर राजस्थान के साथ ही ईडी मुंबई, गुजरात और पश्चिम बंगाल ने भी एक साथ कार्रवाई की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत का खाद का कारोबार है और जोधपुर में इससे जुड़ी दुकानें व अन्य प्रतिष्ठान हैं.
गहलोत के भाई पर लगा 7 करोड़ रुपये का जुर्माना
अग्रसेन गहलोत पर कथित उर्वरक मामले में सात करोड़ रुपये सीमा शुल्क का जुर्माना लगाया गया है. ईडी ने सीमा शुल्क विभाग की शिकायत के आधार पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉ न्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया है और कथित उर्वरक घोटाला मामले में आ रोप पत्र दायर किया है। अधिकारियों का कहना है कि एजेंसी ने राजस्थान में 6, गुजरात में 4, पश्चिम बंगाल में 2 और दिल्ली में 1 जगहों पर छापे मारी की है.
किसानों को खाद देने के बजाय निर्यात किया गया
जानकारी के मुताबिक यह खाद घोटाला यूपीए सरकार के समय का है. उस समय ईडी ने इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (डीआरआई) द्वारा दर्ज मामले के आधार पर इस संबंध में मामला दर्ज किया था. अग्रसेन गहलोत की कंपनी ‘अनुपम कृषि’ के पास पोटाश यानी खाद के भंडारण और उसे किसानों में बांटने का काम है. यह पोटाश इंडियन पोटाश लिमिटेड की ओर से विदेशों से आयात किया जाता था और अनुपम कृषि कंपनी को सरकारी सब्सिडी से सस्ते में दिया जाता था।
आ रोप है कि किसानों को यह सब्सिडी वाला सस्ता उर्वरक देने के बजाय कंपनी ने इसे विदेशों में निर्यात किया। इसे निर्यात करने के लिए अग्रसेन गहलोत ने जाली दस्तावेजों का सहारा लिया था। यह भी आ रोप है कि अग्रसेन गहलोत ने अन्य लोगों को पोटाश बेचा जिन्होंने औद्योगिक नमक के नाम पर मलेशिया और सिंगापुर को अ वैध रूप से निर्यात किया था, जबकि भारतीय पोटाश को भारत से बाहर भेजने पर प्रतिबंध था।