आज जा रहे हैं भले ही हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनसे जुड़ी तमाम ऐसी बातें हैं जिनकी छाप हमारे दिल पर कुश्ती के मैदान पर अपनी ऐसी पकड़ बनाई कि 500 मैच खेले जिनमें जिनमें उन्हें कोई हरा नहीं पाया और अभिनय किया तो ऐसा किया कि लोग आज भी रामायण के भगवान हनुमान को भुलाए नहीं भूलते पंजाब का यह शेर पूरी दुनिया का शेर बन गया.
दारा सिंह (Dara Singh) का पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था जिनका जन्म 19 नवंबर 1928 को पंजाब में हुआ था. वह अपने जमाने के फेमस फ्रीस्टाइल पहलवान थे. उन्होंने 1959 में पूर्व चैंपियन जॉर्ज को पराजित करके कॉमनवेल्थ की विश्व चैंपियनशिप जीती थी और वही 1968 में हुए अमेरिका के विश्व चैंपियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैंपियन बन गए.
उन्होंने 55 वर्ष की आयु तक पहलवानी की और 500 मुकाबलों में किसी भी एक पहलवान से पराजित नहीं हुए. 1983 में उन्होंने अपने जीवन का अंतिम मुकाबला जीतने के पश्चात कुश्ती से सम्मान पूर्वक सन्यास ले लिया. 1960 के दशक में पूरे भारत में उनकी फ्री स्टाइल कुश्ती का बोलबाला रहा. बाद में उन्होंने अपने समय की मशहूर अदाकारा मुमताज के साथ हिंदी के स्टंट फिल्मों में प्रवेश किया.
इसके अलावा दारा सिंह ने कई फिल्मों में अभिनय के अतिरिक्त निर्देशन वह लेखन भी किया. मेरे उन्होंने उन्हें टीवी धारावाहिक रामायण में हनुमान (Hanuman) के अभिनय से अपार लोकप्रियता मिली. उन्होंने अपनी आत्मकथा मूल रूप से पंजाबी में लिखी थी जो 1993 में हिंदी में भी प्रकाशित हुई.
उन्हें अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया और वह पूरे 6 वर्ष तक इस पद पर रहे. 7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें धीरूभाई अंबानी अस्पताल मुंबई में भर्ती कराया गया किंतु 5 दिनों तक कोई भी लाभ ना देखते हुए उनके मुंबई स्थित निवास पर वापस ले आया गया जहां 12 जुलाई 2012 को सुबह 7:30 दम तोड़ दिया.
दारा सिंह ने जापान रेसलिंग एसोसिएशन 1955 में किंग कोंग पर बरसाए मुक्का
कॉमनवेल्थ देशों का दौरा कर उन्होंने ओरिएंटल चैंपियन किंग कोंग को भी प्राप्त कर दिया. किंग कोंग के बारे में यह भी कहा जाता है कि दारा सिंह ने किंग कोंग के मूंछ के बाल उखाड़ दिए थे. बाद में उन्हें कनाडा और न्यूजीलैंड के पहलवानों से खुली चुनौती मिली.
उन्होंने कोलकाता में हुए कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में कनाडा के चैंपियन जॉर्ज एवं न्यूजीलैंड के जॉन डिसिल्वा को धूल चटा कर यह चैंपियनशिप अपने नाम कर ली. यह पहलवान 200 किलो से ऊपर के थे.