यहाँ चिता की भस्म से खुश होते है महाकाल, पुरे विश्व का है एकलौता ऐसा मंदिर जहाँ महाकाल इस रूप में पाए जाते है

दिल्ली, इंडियावायरलस: महाकाल के नाम से प्रसिद्ध भोलेनाथ के अनेकों मंदिर है! जहा की श्रद्धा हजारों की तादाद में आए हुए लोगों की संख्या को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है! भारत देश में अनेकों ऐसे मंदिर है जहां लोग अपने श्रद्धा के अनुसार आते हैं! पूजा पाठ करते हैं! ऐसा खूबसूरत नजारा वर्ल्ड में कहीं और नहीं देखने को मिलता! केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहां हजारों की संख्या में मंदिर पाए जाते हैं! उन मंदिरों में आपको इतने लोग देखने को मिल जाएंगे कि उनको देखकर पूरा वर्ल्ड हैरान रह जाता है! कि आखिरकार भारत के मंदिरों में ऐसा क्या है जो लोगों के अंदर इतनी आस्था और श्रद्धा बनाकर रखता है! आज हम आपको एक ऐसे ही खास मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं!

भारत देश में उज्जैन में यह मंदिर कुख्यात है! क्षिप्रा नदी के किनारे बसा यह मंदिर राजा महाकालेश्वर का भव्य और ऐतिहासिक मंदिर है! यह मंदिर बहुत खास है क्योंकि देव के देव महादेव 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है!

यह मंदिर भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व के अंदर खास है! महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह मंदिर एकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है! इनका दक्षिणमुखी होना इन्हें बाकी सभी मंदिरों से खास बनाता है! और यहां की पूजा करने की विधि विधान भी सबसे अलग है!

जी हां सामान्य जब आप किसी मंदिर में जाते हैं तो आप वहां पर प्रसाद, नारियल आदि सब चढ़ाते हैं! और साथ ही साथ दीया, धूपबत्ती, अगरबत्ती आदि लगाकर भगवान को प्रसन्न करते हैं! लेकिन इस दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग की पूजा अर्चना तो कुछ खास ही है! यहां की सुबह की पूजा कुछ तांत्रिक परंपराओं से की जाती है!

जी हां तांत्रिक परंपरा, यहां के बारे में कुछ ऐसा कहा जाता है जब तक महाकाल की चिता की ताजी राख से भस्म की आरती ना कर ली जाए, तब तक महाकाल खुश नहीं होते! कहने का तात्पर्य है कि ताजी राख से ही महाकाल की आरती की जाती है!

ज्योतिर्लिंग क्या होते हैं और ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई!

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