आपका स्मार्टफोन या तो Google के Android या Apple के iOS ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलता है. इससे पहले कुछ मोबाइल इकोसिस्टम रहे हैं लेकिन वे एंड्रॉयड और आईओएस की पॉपुलैरिटी को पाने में विफल रहे. लेकिन इसको चुनौती देने में कभी देर नहीं हुई है और भारत सरकार इसे सपोर्ट करने के लिए तैयार हो गई है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने घोषणा की है कि सरकार एक पॉलिसी के साथ आने की स्कीम बना रही है जो भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए इकोसिस्टम को बढ़ावा देगी जहां वो स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम बना सकते हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, की फ़िलहाल इस ऑपरेटिंग सिस्टम के नए वर्जन को सम्बंधित अधिकारियों के सामने पेश किया जा रहा है. भारत सरकार ने BOSS ओएस को इसलिए विकसित किया था ताकि सरकार को विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भर ना रहना पड़े. इस ऑपरेटिंग सिस्टम को पहली बार जनवरी 2007 में लॉन्च किया गया था, लेकिन इसको कुछ खास सफलता नहीं मिली थी.
इस ऑपरेटिंग सिस्टम का लेटेस्ट वर्जन BOSS 5.0 इसकी आधिकारिक साइट पर उपलब्ध है. इस वर्जन का कोडनाम ‘अनोखा’ है और यह GNOME डेस्कटॉप एनवायरनमेंट 3.4 वर्जन के साथ आता है. इसमें लेटेस्ट कर्नेल 3.10 दिया गया है और यह इंटेल 32-बिट और 64-बिट आर्किटेक्चर के अलावा 3D डेस्कटॉप को सपोर्ट करता है. इतना ही नहीं यह ग्राफ़िक इंस्टालर, लिवरऑफिस 4.1 को भी सपोर्ट देता है. इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक ओन-स्क्रीन कीबोर्ड भी दिया गया है, जो की कई भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है, यह यूनिकोड 6.1 को सपोर्ट करता है. इसके माध्यम से वह लोग भी कंप्यूटर का इस्तेमाल कर सकते हैं जिनको अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है.
Android और iOS को मिलेगी टक्कर
सरकार उम्मीद कर रही है कि भारत के स्टार्टअप और अकादमिक इकोसिस्टम एक स्वदेशी मोबाइल इकोसिस्टम के डेवलपमेंट को लीड करेंगे जो Google के Android और Apple के iOS को टक्कर देगा. चंद्रशेखर ने कहा, “अगर कुछ रियल कैपेसिटी है तो हम उस एरिया को डेवलप करने में बहुत इंटरेस्ट लेंगे क्योंकि इससे आईओएस और एंड्रॉयड के लिए एक ऑप्शन तैयार होगा जो कि एक भारतीय ब्रांड के तौर पर डेवलप हो सकता है.” सरकार पूरे प्रोजेक्ट को इंसेंटिव देगी और अलग-अलग माध्यमों से ऑपरेटिंग सिस्टम के डेवलपमेंट को प्रोत्साहित करेगी.
एंड्रॉयड और आईओएस के देसी ऑप्शन के लिए भारत का जोर डिजिटल इंडिया पहल की दिशा में सरकार के प्रयासों का एक हिस्सा है. लोकल मैनुफैक्चरिंग उस पहल की जड़ है जिसके तहत सरकार भारत में स्मार्टफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स के डेवलपमेंट को बढ़ावा देती है. एपल, सैमसंग और ओप्पो जैसे बड़े स्मार्टफोन ब्रांड अब भारत में मैनुफैक्चरिंग का एक बड़ा हिस्सा शेयर करते हैं. लेकिन सरकार संबद्ध पॉलिसी में और सुधार चाहती है.
चंद्रशेखर ने पीटीआई से कहा, “जरूरी टारगेट क्लियर होना है. एक बार जब हमारे पास क्लियर टारगेट हों और हमें क्या हासिल करना है, तो सभी पॉलिसी और काम इसके मुताबिक होंगे.” उन्होंने कहा कि उन्हें लागू करने के लिए ज्यादातर पॉलिसी और टूल्स को “फिर से देखा” जा रहा है ताकि वे नए टारगेट्स और जरूरतों के मुताबिक हों.