Factionalism in Congress over Prashant Kishor’s entry: हाल ही में बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी को शानदार जीत दिलाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें तेज हो गयी हैं. लेकिन कांग्रेस (Congress) के अंदर इसका पुरजोर विरोध भी शुरू हो गया है. प्रशांत किशोर को लेकर कांग्रेस दो भागों में बांट चुकी है. सूत्रों के अनुसार पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस बात से नाराज चल रहे हैं. बताया जा रहा है कि कुछ नेता इसके सख्त खिलाफ हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांगेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के आवास पर एक हाई लेवल मीटिंग हुई थी, जिसमें प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा की गयी थी. गौरतलब है कि इस बैठक में कांग्रेस के वे 23 नेता भी शामिल हुए थे, जिन्हें G-23 भी कहा जाता है. ये वहीं 23 नेता हैं जो काफी समय से कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे हैं.
लेकिन इन 23 नेताओं ने ही प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) के कांग्रेस में शामिल होने का विरोध किया है. नेताओं का अंदेशा है कि प्रशांत किशोर के पार्टी में आ जाने के बाद पार्टी के अहम फैसले भी आउटसोर्सिंग होने लगेंगे. जबकि कांग्रेस का एक भाग पीके को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर तैयार है. पीके को पार्टी का महासचिव मनान की चर्चा है, जो पद अभी प्रियंका गांधी के पास है.
बता दें कि इस बैठक में शामिल हुए एक नेता ने आज तक को बताया कि हमले उत्तर प्रदेश और बंगाल में प्रशांत किशोर को देखा है. उनकी सफलता विशिष्ट है. पीके को कांग्रेस में शामिल करने के किसी भी प्रकार की चर्चा कार्यसमिति की बैठक में होनी चाहिए. बता दें कि पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी और अंबिका सोनी को प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने पर नेताओं की राय पर एक रिपोर्ट बनाने को कहा गया है.
इतिहास के अनुसार कांग्रेस पार्टी का पिछली कई चुनाव में काफी खराब प्रदर्शन रहा है. पार्टी अपनी पुरानी सीटों को भी नहीं बचा पा रही है. वहीं जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां भी वह अंदरुनी संकट से गुजर रही है. पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी के नेता आपस में ही लड़-भीड़ रहे हैं. वहीं शीर्ष नेतृत्व को लेकर भी पार्टी में मनमुटाव है.