भारत को धमकाने के बाद तालिबान बढ़ा रहा दोस्ती का हाथ, भारत को दे रहा इसमें छूट

Taliban is extending the hand of friendship: अफगानिस्‍तान (Afghanistan) में अब तालिबान (Taliban) काबिज हो चुका है. इसी के साथ वहां से अफगानी नागरिकों और विदेशी नागरिकों के देश छोड़ने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इस बीच तालिबान ने भारत (India) को लेकर अपना एक बयान जारी किया है. इसमें तालिबान ने कहा है कि भारत अफगानिस्‍तान में जिन प्रोजेक्‍ट पर काम कर रहा था, उसे उन्‍हें पूरा करना चाहिए. भारत अफगानिस्‍तान में कई डेवलपमेंट प्रोजेक्‍ट पर काम कर रहा है और वहां पर अब तक तकरीबन 3 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है.

तालिबान के प्रवक्‍ता सुहैल शाहीन ने पाकिस्‍तान के हम न्‍यूज चैनल से अपने साक्षात्कार में कहा की, ‘भारत को अफगानिस्‍तान में अपने प्रोजेक्‍ट्स पूरे करने चाहिए, क्‍योंकि वे अवाम के लिए है.’ वहीं दूसरी ओर पाकिस्‍तानी न्‍यूज एंकर के इस सवाल पर कि भारत ने अफगानिस्‍तान में बड़ा निवेश किया है लेकिन कभी भी तालिबान को मान्‍यता नहीं दी, जबकि भारत के कई कंसुलेट्स अफगानिस्‍तान में हैं, अब इन बदले हालात में क्‍या स्थिति रहेगी? इसके जवाब में प्रवक्‍ता ने कहा कि हम अफगानिस्‍तान की जमीन का इस्‍तेमाल किसी मुल्‍क को अपना मकसद पूरा करने, या किसी दूसरे देश के खिलाफ अदावत निकालने में नहीं करने देंगे. वे यहां आकर अपने प्रोजेक्‍ट पूरे कर सकते हैं क्‍योंकि वह अवाम के लिए हैं.

भारत कर रहा है अमेरिका से बात

वहीं दूसरी तरफ भारत अफगानिस्‍तान के मुद्दे पर अमेरिका से लगातार बात कर रहा है. भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात की थी. इसके अलावा अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से भी एस.जयशंकर ने इस मुद्दे पर बात की. बता दें कि अफगानिस्‍तान में तालिबान के कब्‍जे के बाद ब्लिंकन ने उन सभी देशों के विदेश मंत्रियों से बात की है, जिन्‍होंने अफगानिस्‍तान में विकास योजनाओं पर काफी निवेश किया है. इसमें भारत भी शामिल है.

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