Relationship between Afghanistan and India: अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) की वापसी के बाद से कुछ देशों का उसके प्रति दोस्ती वाला रवैया साफतौर पर दिखाई दे रहा है. इन देशों के बयानों में भी इस बात का सीधा संकेत दिखाई दे रहा है. खासतौर पर आने वाले समय में अफगानिस्तान के पड़ोसी देश तालिबान को लेकर क्या रुख अपनाने वाले हैं, ये देखना काफी दिलचस्प होगा. रूस, चीन और पाकिस्तान का रुख काफी हद तक स्पष्ट हो चुका है. इसको लेकर निगाहें भारत पर भी लगी हैं. इस संबंध में भारत का क्या फैसला होगा, इसको भी दुनिया जानना चाहती है. इस संबंध में मंगलवार को सीसीएस की जो बैठक हुई थी उसमें फिलहाल इस बात पर तवज्जो दी गई कि अपने सभी नागरिकों को वहां से सुरक्षित बाहर निकाला जाए.
बता दें कि तालिबान के मुद्दे पर भारत का रूख यूं तो काफी हद तक स्पष्ट है. भारत की तरफ से ये भी साफ कर दिया गया है कि उसको तालिबान के कहे पर कोई विश्वास नहीं है. भारत का कहना है कि तालिबान की कथनी और करनी में काफी फर्क है.
इन तीन बातों पर निर्भर करेगा फैसला
सूत्रों के अनुसार भारतीय अधिकारियों का ये भी कहना है कि अफगानिस्तान (Afganistan) और तालिबान को लेकर भारत का फैसले कुछ चीजों पर निर्भर करता है. इनमें से पहली है कि भारत के खिलाफ उसकी जमीन का इस्तेमाल न हो. दूसरा है कि वहां पर रहने वाले अल्पसंख्यकों के प्रति तालिबान का कैसा व्यवहार रहता है. इसके अलावा एक तीसरी और बेहद अहम चीज है कि वर्ष 2011 में भारत-अफगानिस्तान के बीच हुए रणनीतिक समझौते पर तालिबान क्या रुख अपनाता है.
जयशंकर ने की ब्लिंकन से बात
इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jayshankar) ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी वार्ता की है. इसके अलावा उनकी कई दूसरे अमेरिकी नेताओं से भी बात हुई है. आपको बता दें कि अमेरिका समेत यूरोपीय संघ में शामिल कई देशों ने तालिबान सरकार को मान्यता देने से साफ इनकार कर दिया है.