The condition of India is pathetic: अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू (Markenday Katju) ने अभी हाल ही में देश के हालात पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भारत में जो भी हो रहा है उससे मैं निराश हूं. इस हालात से निकलने के लिए एकमात्र रास्ता क्रांति ही है लेकिन वर्तमान में उसकी कोई संभावना नहीं दिख रही है.
मार्कंडेय काटजू ने अपने ट्वीट में लिखा कि भारत में जो हो रहा है उससे मैं बिल्कुल ही निराश हूं. हमारी राजनीति सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. बेरोजगारी और महंगाई बढ़ी है. ज्यादातर लोग जातिवाद और सांप्रदायिकता में डूबे हुए हैं. क्रांति ही एकमात्र रास्ता है लेकिन क्रांति की कोई भी संभावना नहीं दिख रही है.
गौरतलब है कि काटजू लगातार देश के हालात को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एक लेख में लिखा था कि देश की जनता पेट पालने के लिए संघर्ष कर रही है. उन्होंने आगे लिखा था कि मीडिया के कुछ अन्य वर्गों ने जैसे यह मुद्दा उजागर किया उससे लगता है कि पेगासस के स्वर्ग में गिर जाएगा. सच तो यह है कि भारत में आम आदमी अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए भी संघर्ष कर रहा है और उसे पेगासस कि शायद ही कोई परवाह है.
दरअसल बात यह है कि कुछ लोगों की राय में पेगासस का अर्थ है “भारत में लोकतंत्र खत्म होना.” क्योंकि अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हो सकती पर भारतीय लोकतंत्र बड़े पैमाने पर जातीय और सांप्रदायिक वोट बैंक था. दूसरे शब्दों में लोकतंत्र का नाटक जब किसी चीज का अस्तित्व ही नहीं है तो वह खत्म कैसे हो सकती है. इसके अलावा भारत में अधिकांश लोग नौकरी पौष्टिक भोजन और स्वास्थ्य संबंधी देखभाल आदि चाहते हैं. बोलने की आजादी शायद ही उनके लिए कोई मायने भी रखती है.
हम आपको बताते चलें कि मार्कंडेय काटजू कई बार अपने बयानों को लेकर विवादों में भी रहे हैं. हाल ही में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) के गोल्ड मेडल जीतने के बाद जहां पूरा देश जश्न मना रहा था.. वहीं उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि यह उत्सव मनाने का समय है या शर्म की बात है भारतीय सिर्फ एक स्वर्ण पदक जीतने का जश्न मना रहे हैं जिसके बाद उनकी काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी.