Congress wiped out in Northeast: वर्तमान समय में जिस कलह से फिलहाल कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर टूट रही है वह अपने ही पतन की ओर आकर्षित अंतिम लकीर खींचती दिख रही है. पंजाब में बंदरबांट के बाद ताजा मामला कांग्रेस मणिपुर की राज्य इकाई का है. जहां मणिपुर में कांग्रेस के प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष गोविंददास कोंथौजम ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि बिष्णुपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार निर्वाचित कांग्रेस (Congress) विधायक, कोंटौजम MPC के कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक भी थे. उन्होंने मणिपुर में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी काम किया था और पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें एमपीसी (MPC) का अध्यक्ष नियुक्त किया था. ध्यान देने वाली बात है कि जिस व्यक्ति को एक वर्ष का कार्याकाल भी निभा पाना भारी पडा उससे कांग्रेस के नेतृत्व में खोकलेपन की तस्वीर साफ दिख रही है. इसी के बाद से मणिपुर कांग्रेस के अंदरूनी खेमों में बगावत के स्वर गुंजने लगे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों के द्वारा कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेस के 8 मौजूदा विधायक भी इस्तीफा देने की तैयारी में हैं, और बीजेपी की ओर रुख कर सकते हैं. मालूम हो कि ये इस्तीफा कांग्रेस पार्टी के लिए एक झटके के रूप में आया है. जहाँ अगले साल की शुरुआत में होने वाले चुनावों की तैयारी होनी थी, वहाँ प्रदेश अध्यक्ष का ऐसे समय में इस्तीफा आने वाले समय में कांग्रेस के लिए बहुत बडे संकट के तौर पर देखा जा रहा है. भाजपा ने 2017 में पहली बार राज्य में सरकार बनाई थी. अब वह विधानसभा की 60 सीटों पर सत्ता बरकरार रखने की कोशिश करेगी.
गौरतलब है कि आज कांग्रेस उस मोड़ पर खड़ी है जहां उसे दूसरों की थाली पर नजर ना खड़ा कर अपना खाना बचाने की कोशिश में जुट ना पड़ रहा है. सिद्धांत कहता है कि किसी भी संगठन के आंतरिक विरोधी स्वर उस संगठन को नियुक्त को हिलाने के लिए काफी होते हैं. ऐसा ही कुछ कांग्रेस पार्टी के साथ हो रहा है चाहे वह पंजाब की राह हो या फिर राजस्थान की सियासी तकरार या हरियाणा में नेतृत्व परिवर्तन की मांग.