12 ministers removed from Modi cabinet: बीजेपी (BJP) ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर लिया है. इस नए मंत्रिमंडल में 12 मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई है इसमें से 6 कैबिनेट मंत्री शामिल हैं. जिनके पास 12 मंत्रियों मंत्रालयों का जिम्मा था जबकि एक मंत्री स्वतंत्र प्रभार तथा पांच राज्य मंत्री शामिल हैं. मंत्रियों को हटाए जाने के पीछे अलग-अलग कारण बताया जा रहे हैं. किसी मंत्री को अच्छा प्रदर्शन नहीं कराने के कारण हटाया गए हैं तो कुछ को संगठन में बेहतर इस्तेमाल करने के मकसद से. कुछ मंत्रियों की उम्र ज्यादा होना भी प्रमुख रहा जबकि थावरचंद गहलोत को 1 दिन पहले ही राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया है.
कोरोना के कारण तीन मंत्री हटे
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन समेत तीन मंत्रियों को कोरोना (Covid-19) की लहर के कारण अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल में हर्षवर्धन के अलावा रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा को कोरोना के प्रबंधन एवं उपचार के लिए दवाओं का पर्याप्त प्रबंधन नहीं कर पाने की कीमत चुकानी पड़ी. जबकि श्रम राज्य मंत्री संतोष गंगवार को दूसरी लहर के कारण अपनी ही सरकार पर करना पर कोरोना प्रबंधन पर सवाल उठाना महंगा पड़ गया. गंगवार ने कोरोना प्रबंधन में खामियों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi) को पत्र लिखा था जिसमें सरकार की भारी किरकिरी की गई थी.
सरकार की छवि नहीं बना सके
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के इस्तीफे के पीछे माना जा रहा है कि कोरोना काल में सरकार की छवि को नहीं बचा पाए. उनका मंत्रालय सरकार के प्रयासों को बेहतर तरीके से पेश करने में मंत्रालय नाकाम रहा है. जावड़ेकर (Javedkar) के पास पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अलावा भारी उद्योग मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी था.
ट्विटर विवाद रहा कारण
हम आपको बता दें कि संचार, सूचना प्रौद्यौगिकी एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के इस्तीफे के पीछे कोई स्पष्ट कारण दिखाई नहीं देता है. यह संभावना जताई जा रही है कि उनका संगठन में बेहतर इस्तेमाल के मकसद से यह कदम उठाया गया है.
स्वास्थ्य कारणों से निशांत ने दिया इस्तीफा
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को हटाने के पीछे सबसे स्वास्थ्य संबंधी कारणों को अहम माना जा रहा है. कोरोना से ठीक होने के बाद वह पोस्ट कोविड दिक्कतों का सामना कर रहे हैं तथा हाल में ही एम्स से डिस्चार्ज हुए हैं. पर ध्यान देने वाली बात यह है कि बतौर शिक्षा मंत्री के रूप में वह कोई खास प्रदर्शन भी पिछले दो सालों के दौरान नहीं कर पाए.
बंगाल चुनाव में हार बना कारण
बंगाल कोटे के दोनों मंत्रियों बाबुल सुप्रियो एवं देवोश्री चौधरी को बदला गया है. दोनों राज्यमंत्री रहे हैं. इन्हें हटाए जाने को लेकर कामकाज के प्रदर्शन के साथ-साथ इन्हें राज्य की राजनीति में कार्य करने के लिए भेज जा रहा है.