What is the meaning of Sindhiya joining the BJP cabinet!: ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Sindhiya) आखिरकार कांग्रेस (Congress) छोड़कर बीजेपी (BJP) में आने के करीब 15 महीने बाद ही मोदी कैबिनेट में मंत्री बन गए. सिंधिया के बीजेपी में जाने के एक दिन बाद से ही उनका केंद्र में मंत्री बनना तय माना जा रहा था लेकिन यह इंतजार थोड़ा लंबा चला. गौरतलब है कि सिंधिया के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद इतना साफ हो गया है कि बीजेपी में इनका कर लगातार बढ़ता ही जा रहा है जो मध्य प्रदेश की राजनीति में भी असर जरूर डालेगा.
अपने समर्थकों को बनवाया मध्यप्रदेश में मंत्री
ज्योतिरादित्य सिंधिया ध्यान देने वाली बात यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही अभी केंद्र में मंत्री बने हैं लेकिन इससे पहले उन्होंने अपने कई समर्थक विधायकों को मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री बनवा दिया था. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्च 2020 में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में अपने समर्थकों के साथ सियासी सफर की शुरुआत की थी. इन्हीं 15 महीनों के दौरान उनके साथ आए 14 विधायक फिलहाल शिवराज सरकार की मंत्रिमंडल में मंत्री हैं वही सिंधिया बीएफ खुद केंद्रीय मंत्री बन गए हैं.
बीजेपी नेताओं से प्रगाढ़ होते संबंध
अभी हाल ही में मालवा में 4 दिनों के दौरे पर गए सिंधिया ने नीमच, मंदसौर, रतलाम, धार और उज्जैन में बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के घर-घर जाकर उनसे मुलाकात की. इस दौरान इससे तो यह सीधे संकेत मिले हैं कि सभी नेता सिंधिया से खुद को जोड़ कर रखना चाहते हैं क्योंकि उनमें अब भविष्य की संभावनाएं साफ दिख रही हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने बदले हुए व्यवहार से इसका काफी हद तक जवाब दे दिया है. बीजेपी में आने के बाद सिंधिया अब खुद कार्यकर्ताओं और नेताजों से मिलने उनके घर जा रहे हैं. कार्यकर्ताओं के घर जाकर खाना खा रहे हैं और जनता से उनका कनेक्ट अब बढ़ता दिख रहा है.
ग्वालियर-चंबल के महाराष्ट्र सिंधिया ही
गौरतलब है कि कांग्रेस में रहते कोई नेता ग्वालियर चंबल संभाग में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बराबरी नहीं कर सका था. हालांकि बीजेपी में आने के बाद माना जा रहा था कि बीजेपी के जो नेता क्षेत्र से आते हैं उनके और सिंधिया के बीच मुकाबला रहेगा लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं दिख रहा है. सरकार और संगठन में सिंधिया की पेट साफ तौर पर दिख रही है और ग्वालियर चंबल संभाग में उनका दबदबा भी.
हम आपको बता दें कि इन नेताओं में एक केंद्रीय मंत्री, सांसद और प्रदेश के कद्दावर मंत्री हैं. हालांकि सिंधिया इससे बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखते. हाल ही में भोपाल आने पर वो बकायदा इन नेताओं से बकायदा इनके घर पर जाकर मिले थे और लंबी बातचीत भी की थी.
शिवराज और महाराज की जोड़ी
गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद विरोधियों ने इसे शिवराज बनाम सिंधिया बनाने की खूब कोशिश की लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी शिवराज किसी को भी अपना बनाना बखूबी जानते हैं. इसकी झलक उसी दिन दिख गई थी जब बीजेपी में आने के बाद पहली बार भोपाल आए सिंधिया को शिवराज ने घर पर डिनर पर बुलाया और खुद शिवराज की पत्नी साधना सिंह ने अपने हाथों से सबको खाना परोसा.
इसके बाद कई मौके ऐसे आए जब शिवराज और सिंधिया की जुगलबंदी सार्वजनिक रूप से दिखी खासतौर से 28 सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान जब कई जगहों पर दोनों नेताओं ने साथ में प्रचार किया. अभी भी सिंधिया भोपाल यदि आते हैं तो शिवराज से मिलने ज़रूर जाते हैं. ऐसे में कांग्रेस जहां शिवराज बनाम सिंधिया की खिचड़ी पकाने में लगी थी तो दोनों नेताओं ने इसे शिवराज-महाराज की जोड़ी बना दिया.