opindia जो कि एक डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है उसके संपादक के रूप में कार्य करते हुए अजीत भारती को आज के समय में शायद ही ऐसा कोई होगा जो नहीं जानता होगा वह किसी भी परिचय कि उनको आज किसके में जरूरत नहीं है! पिछले कुछ सालों के अंदर अजीत भारती पत्रकारिता जगत में युवाओं के बीच राष्ट्र वादी विचारधारा की एक आवाज बनकर उभरे हैं! लेकिन अब खबर ऐसी आ रही है कि अजीत भारती मुश्किल में वहीं दूसरी शब्दों में कहा जाए तो उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है!
ऑफ इंडिया के संपादक रहे और वर्तमान में डू पॉलिटिक्स के संपादक के तौर पर कार्य करने वाले अजीत भारती के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस चलेगा! केके वेणुगोपाल ने डू पॉलिटिक्स के पत्रकार अजीत भारती के खिलाफ एक वीडियो के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति दे दी है! हां उन पर न्यायपालिका के खिलाफ आपत्ति जनक टिप्पणी करने का आ रोप लगा है!
अजीत भारती के ऊपर आ रोप लगाया गया है कि डू पॉलिटिक्स के युटुब चैनल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में देश की सर्वोच्च न्यायालय और उसके न्यायाधीशों के खिलाफ अप मान जनक शब्दों का यूज किया गया था! बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले अजीत भारती ने ओप इंडिया को छोड़ दिया था तथा डू पॉलिटिक्स डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म शुरू कर दिया था!
अटॉर्नी जनरल ने वकील कृतिका सिंह को पत्र के जरिए कहा कि मैंने श्री अजीत भारती के खिलाफ न्यायालय अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 15 के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति के लिए आपके आवेदन को देखा है और आपके द्वारा प्रदान की गई यूट्यूब लिंक पर उनके भाषण का वीडियो भी देखा है मैंने पाया है कि वीडियो की सामग्री जिसको लगभग डेढ़ लाख लोगों ने देखा है यह वीडियो भारत के सर्वोच्च न्यायालय और रूप से न्यायपालिका के लिए अप मान जनक है जिसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से अदालतों को बद नाम करना है!
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आगे लिखा कि इन अप मान जनक बयानों के पीछे का मकसद जो भी हो, यह स्पष्ट है कि शिक्षित वक्ता को पता होगा कि परिणाम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अवमानना क्षेत्राधिकार को आकर्षित करेगा। इसमें कोई शक नहीं कि ये बयान जनता की नजर में अदालत के अधिकार को कमजोर करेंगे और न्याय प्रशासन में बाधा डालेंगे। मैं इस आधार पर मामले को आगे बढ़ा रहा हूं कि वीडियो की सामग्री प्रामाणिक है। मुझे श्री अजीत भारती द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो की सामग्री के आधार पर अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति देने में कोई संकोच नहीं है।