शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए जावेद अख्तर के उस बयान की कड़ी आलोचना की है जिसमें उन्होंने तालिबान की तुलना आरएसएस से की थी. शिवसेना का कहना है कि यह तुलना सही नहीं है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में यह भी लिखा है कि अगर दोनों के बीच समानता होती तो तीन तलाक के खिलाफ कानून नहीं बनता और अगर संघ की विचारधारा तालिबान होती तो लाखों मुस्लिम महिलाएं नहीं होतीं. इससे छुटकारा पाने की कोई उम्मीद देखी है।
शिवसेना का #JavedAkhtar पर निशाना, कहा, तालिबान की तरह होता आरएसएस तो मुस्लिम महिलाओं को नहीं मिलती तीन तलाक से मुक्ति ।
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) September 6, 2021
सामना के जरिए शिवसेना ने एक बार फिर हिंदू राष्ट्र की पुरजोर वकालत की है। इसमें यह भी कहा गया है कि बहुसंख्यक हिंदुओं को दबाना किसी भी तरह से सही नहीं है। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।
शिवसेना ने इस मुखपत्र के जरिए अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान की भी जमकर आलोचना की है। इसमें कहा गया है कि तालिबान का शासन मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खत रा है। इस शासन को पाकिस्तान, चीन सहित कुछ देशों ने समर्थन दिया है।
पार्टी का कहना है कि तालिबान को भी इन देशों का समर्थन मिला है क्योंकि यहां भी मानवाधिकार, लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसी चीजें मायने नहीं रखतीं। वहीं अगर भारत की बात करें तो यह हर तरह से सहि ष्णु है। आपको बता दें कि लेखक और गीतकार जावेद अख्तर के बयान के बाद से सियासी पारा उबाल पर है।