Will Hurriyat Conference be banned under UAPA? जम्मू-कश्मीर में दो दशक से अधिक समय से अलगाव वादी गति विधियों का नेतृत्व कर रहे हुर्रियत कांफ्रेंस के दोनों धड़ों पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध लगने की संभावना है! अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान स्थित संस्थानों द्वारा कश्मीरी छात्रों को एमबीबीएस सीटों के मुद्दे की हालिया जांच से संकेत मिलता है कि कुछ संगठन जो हुर्रियत कांफ्रेंस का हिस्सा थे, वे छात्रों के पैसे लेकर केंद्र शासित प्रदेश में आतं कवादी संग ठनों को फंडिंग कर रहे हैं!
अधिकारियों ने कहा कि दोनों हुर्रियत गुटों पर यूएपीए की धारा 3(1) के तहत प्रति बंध लगने की संभावना है! अधिकारियों ने कहा, “अगर केंद्र सरकार की राय है कि कोई संगठन एक गैरकानूनी संगठन है या बन गया है, तो वह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा ऐसे संगठन को यूएपीए के तहत गैरकानूनी घोषित कर सकती है।” कहा कि यह प्रस्ताव आतं कवाद को जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत बनाया गया था!
बता दे कि हुर्रियत कांफ्रेंस का गठन 1993 में हुआ था, जिसमें कुछ पाकिस्तान समर्थक और प्रतिबंधित संगठन जैसे जमात-ए-इस्लामी, जेकेएलएफ (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) और दुख्तारन-ए-मिल्लत सहित 26 समूह शामिल हुए थे! इसमें मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली पीपुल्स कांफ्रेंस और अवामी एक्शन कमेटी ने भी हिस्सा लिया! यह अलगाव वादी समूह 2005 में दो गुटों में विभाजित हो गया! उदारवादी गुट का नेतृत्व मीरवाइज कर रहा है और कट्ट रपंथी गुट का नेतृत्व सैयद अली शाह गिलानी कर रहे हैं!