हमारे देश के लगभग हर घर में रोटी बनाने के लिए आटा गूथा जाता है. हम सभी ने देखा होगा कि आटा को गूथने के बाद घर की महिलाएं उसमें अपनी उंगलियों से निशान छोड़ देती हैं. आपको बता दे की निशान बनाने के लिए गुथे आटे में उंगियों को दबा दिया जाता है, जिससे आटे में निशान बन जाता है. हम लोग आमतौर पर हम इसे एक तरह की साधारण सी प्रक्रिया मान लेते हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा है नही . ऐसा करने के पीछे एक विशेष मान्यता है. आज हम इस लेख के जरिये आपको इसी मान्यता के बारे में बताने जा रहे है.
हम आपको बता दे की विश्व के सबसे पुराने धर्म हमारे सनातन धर्म में पितरों को देने के लिए आटे को गूथकर एक पिंड बनाया जाता है, आपको बता दे की पिंड का सम्बंध पितरों से जुड़ा हुआ है. सभी के परिजन उसे बडे़ ही श्रद्धाभाव से पिंडदान करते है. हम आपको बता दे की हमारे धर्म शास्त्रों में यह बताया गया है कि पितरों को पिंडदान करने से हमे उनका शुभ आर्शीवाद मिलता है. यही एक बड़ा कारण है की उंगलियों का निशान गुथे आटे में बनाये जाते है. आपको बता दे की हमारे समाज मे ऐसा ना करना अशुभ माना जाता है.
हमारे धर्म पुराणों में यह मान्यता है कि अगर किसी भी पदार्थ को गुथकर जब पिंड बना दिया जाता है, तो उस पिंड पर पितरों का हक हो जाता है. यही कारण है कि रोटी या और कुछ भी बनाने के लिए जब आटे को गूथकर उसे पिंड के स्वरूप में बदल दिया जाता है और उसमें उंगलियों के निशान भी बना दिया जाता है ताकि वह पितरों के लिए बनने वाला पिंड स्वरूप ना रह पाये. और इसी प्रकिया से हम पित्र दोश से मुक्त हो जाते हैं.
वही हम इसके दूसरे पहलू की बात करे तो आटे में उंगलियों का निशान बनाने का मनोवैज्ञानि कारण भी होते है. ऐसा कहा जाता है कि हम किसी भी कार्य को करने के बाद उसमें अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं. यही कारण है कि महिलाएं आटा गूथने के बाद उसमें अपनी उंगलियों के निशान बना देती है. भले ही वह बाद में बेलते समय मिटक ही क्यों न जाये.