विश्व के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में शुमार भारतीय रेलवे हमारे देश को छोटे से छोटे एवं बड़े से बड़े शहरों से जोड़ती है. एक रिपोर्ट के हिसाब से भारतीय रेलवे से प्रतिदिन करीब ढाई करोड़ लोग सफर करते हैं और रेलवे जैसी सस्ती एवं सुविधाजनक यात्रा किसी और चीज से संभव नहीं है. इस यातायात के साधन का मुकाबला और कोई साधन नहीं कर सकता. सरकारी प्रॉपर्टी होने के नाते इससे जुड़े कई नियम कानून भी हैं जिसे हर साधारण नागरिक को जानना चाहिए और यात्रा के समय ध्यान भी रखना चाहिए.
बता दें कि अगर आप यात्रा कर रहे हैं और यात्रा के दौरान आपका सामान चोरी हो जाता है तो इसके लिए रेलवे आप को मुआवजा देती है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आपको आरपीएफ अर्थात रेलवे पुलिस को एफ आई आर (FIR) के साथ एक फोन भी देना पड़ता है, जिसमें यह बात लिखा होता है की अगर 6 महीने के अंदर सामान वापस नहीं मिला तो आप नुकसान की भरपाई के लिए उपभोक्ता फोरम अर्थात कंजूमर फोरम भी जा सकते हैं. आपको बता दें कि इसमें सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि एफ आई आर दर्ज करते हैं जीआरपी को यात्री से उपभोक्ता फोरम का फॉर्म भरवा लेना चाहिए.\
दूसरे नियम की बात करें तो यह नियम है कि अगर कोई भी अट्ठारह वर्ष से कम उम्र का बच्चा बिना टिकट के सफर करते पकड़ा जाता है तो उससे टिकट चेक करने वाला स्टाफ या टीटी जुर्माना नहीं ले सकता है. उस बच्चे से सिर्फ किराया ही वसूला जा सकता है. इस नियम में यह भी बताया गया है कि अगर ऐसे बच्चे के खिलाफ कोई कार्यवाही करनी हो तो पहले रिपोर्ट तैयार करनी पड़ेगी और उसके बाद ही कार्रवाई को आगे ले जाया जा सकता है.
अगला नियम यह है की, अगर कोई यात्री के पास टिकट वेटिंग की है तो वह आरक्षित कोच या डब्बे में यात्रा नहीं कर सकता, अगर वह यात्री यात्रा करता है तो उसे कम से कम ₹250 का जुर्माना भरना पड़ेगा और अगले स्टेशन से जनरल कोच में यात्रा भी करना पड़ेगा, लेकिन अगर एक ही पीएनआर पर 4 में से 2 यात्रियों का टिकट कंफर्म हो तो टीटीई से अनुमति लेकर बाकी के 2 लोग उनकी सीट पर वेटिंग टिकट के साथ भी बैठकर यात्रा कर सकते हैं.
रेलवे का एक और नियम यह है अगर कोई यात्री रेलवे के टिकट को छेड़ कर या कोई और धोखाधड़ी के तरीके यात्रा करता है, तो उस पर रेलवे एक्ट की धारा 137 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और इस मुकदमे के पश्चात यात्री को 6 महीने की जेल, जुर्माने के रूप में हजार रुपए, या दोनों सजाएं एक साथ मिल सकती हैं. इस अपराध के लिए यात्री को कड़ी सजा भी सुनाई जा सकती है. रेलवे परिसर में बिना परमिशन के हॉकिंग या सामान बेचने पर रेलवे एक्ट की धारा 144 के तहत कार्रवाई हो सकती है और इसमें 1 साल की जेल, हजार रुपए से लेकर ₹2000 तक का जुर्माना या दोनों सजाओ का एक साथ प्रावधान है.
रेलवे में एक यह भी नियम है कि अगर आप बिना किसी परमिशन के रेलवे परिसर या ट्रेन पर कोई पोस्टर चिपकाते हैं तो आपके खिलाफ रेलवे एक्ट की धारा 166 बी के तहत कार्रवाई हो सकती है. इसके तहत 6 महीने की सजा या ₹500 जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती हैं.
बताते चलें कि रेलवे में सफर करने से पहले रेलवे के नियमों से परिचित हो जाना ही अच्छा है और रेलवे में शांतिपूर्ण ढंग से सफर करना रेलवे यात्रियों के लिए सुविधाजनक होता है.