सरकार लंबे समय से भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) को बेचने की कोशिश कर रही है। अब सरकार के अंदर इसे बेचने का नया तरीका खोजने की चर्चा चल रही है। दीपम सचिव तुहीन कांत पांडेय के शब्द इस ओर इशारा करते हैं।
क्या कहा दीपम सचिव ने?
इंडिया टुडे के बजट 2022-23 राउंडटेबल में निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि हमें भारत पेट्रोलियम के विनिवेश के लिए शुरुआती बोलियां मिली हैं, लेकिन अब ये बोलियां वित्तीय बोली में हैं. नहीं बदल पाया है। ऐसे में यदि मौजूदा बोली लगाने वाले वित्तीय बोली के साथ आगे नहीं बढ़ते हैं, तो सरकार फिर से नई बोलियां मांगेगी। इसको लेकर कुछ दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
अब इन कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी
अब तक, वेदांत समूह, निजी इक्विटी फर्म अपोलो ग्लोबल और आई-स्क्वायर कैपिटल की थिंकगैस शाखा ने बीपीसीएल में सरकार की 52.98% हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है। सरकार को इस साल मार्च तक बीपीसीएल बेचने की उम्मीद है। हालांकि, सीएनबीसी-टीवी18 ने एक रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा कि बीपीसीएल को खरीदने में दिलचस्पी दिखाने वाली समूह की कुल 6 कंपनियों में से 5 ने अपना नाम वापस ले लिया है। इस रेस में अब सिर्फ वेदांता ग्रुप ही आगे है।
बीपीसीएल के खरीदार को मिलेगा इतना
भारत पेट्रोलियम की बोली जीतने वाली कंपनी को भारत के खुदरा ईंधन बाजार में 25.77% की हिस्सेदारी मिलेगी। इसके अलावा इसे देश की कुल पेट्रोलियम रिफाइनिंग क्षमता का 15.3% हिस्सा मिलेगा। कंपनी की फिलहाल मुंबई, कोच्चि, बीना और नुमालीगढ़ में चार रिफाइनरियां हैं। उनके पास सालाना 383 मिलियन टन पेट्रोलियम को परिष्कृत करने की कुल क्षमता है।