2022 के यूपी विधानसभा चुनाव की डगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए आसान भरी नहीं होने वाली है. क्योंकि उनका मुकाबला इंसानी चुनौतियों के साथ-साथ वैश्विक चुनौती अर्थात कोरोनावायरस से भी है. विपक्ष में विरोधी होने के साथ-साथ वर्तमान में तो अपने भी ही पार्टी के अंदर भी कई विरोधी मौजूद हैं. ऐसी स्थिति में अगर योगी को उत्तर प्रदेश की गद्दी को बचाए रख ली है तो उन्हें इन चार चुनौतियां से पार पाना ही होगा.
कोरोना महामारी के वजह से लोगों का गुस्सा
इस महामारी में स्थिति ऐसी हो गई थी कि अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे. बेड मिल रहा था तो ऑक्सीजन नहीं मिल रहा था. गंगा में कई जगह बहते शवों को देखा गया और उसे देशभर में सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया. दवा की दुकानों पर लंबी कतारें देखने को मिले. इस पर विरोधियों ने तो यहां तक कह दिया कि कोरोनावायरस को संभालने में योगी जी फेल हो गए हैं आरोप लगे कि मुख्यमंत्री का सारा ध्यान पंचायत चुनाव पर लगा था ना कि कोरोना नियंत्रण ऐसी स्थिति में 2022 के चुनाव से पहले लोगों के मन में उठ रहे इन सवालों के जवाब देने ही होंगे.
बेरोजगारी की मार
गौरतलब है कि बेरोजगारी को लेकर आम जनमानस में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. योगी जी के लिए यह आसान नहीं होगा. योगी सरकार पिछले 4 साल में 4 लाख लोगों को रोजगार देने का दावा कर रही है. मगर राजनीतिक पंडित कहते हैं कि बेरोजगारी के समंदर में यह एक लोटा पानी के बराबर है. सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि इस बार बेरोजगार शांत नहीं बैठा बल्कि सवाल पूछ रहा है. सवाल कि 30 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा करने वाले योगी जी अब पीछे क्यों भाग रहे हैं. उन्होंने अब तक यह वादा पूरा क्यों नहीं किया
पश्चिमी यूपी के नाराज किसान
गौरतलब है कि पूरे भारतवर्ष में तीन कृषि बिलों को लेकर किसानों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है. जिसका असर यूपी पर भी पड़ सकता है, योगी सरकार को इस मोर्चे पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है. क्योंकि किसान आंदोलन की कमान पश्चिमी यूपी के किसान के हाथ में है. यह किसान खुलकर मोदी और योगी के खिलाफ अपनी राय रख रहे हैं. आलम यह भी थे कि पंचायत चुनाव के दौरान इन इलाकों में बीजेपी के कार्यकर्ता खुलकर प्रचार भी नहीं कर पाए.
अंदरूनी कलह
महामारी बेरोजगारी और किसान आंदोलन के बाद भाजपा को अब अंदरूनी कलह खत्म करने होंगे. कहा जाता है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री के बीच गतिरोध है. योगी मंत्रिमंडल के ही लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि 2022 में सीएम पद के लिए बीजेपी का चेहरा कौन होगा, इसका फैसला संसदीय समिति करेगी. कहा तो यहां तक जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने तभी बात हो चुकी है.