मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने किसान आंदोलन के बीच हुई हिंसा के दौरान पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े जाने पर भी ऐतराज़ हैं. सीताराम येचुरी ने इस सन्दर्भ ने एक ट्वीट करते हुए लिखा है की, “किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ना और लाठीचार्ज करना अस्वीकार्य है. दिल्ली पुलिस और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच सहमति के बाद यह क्यों हुआ? सरकार टकराव को क्यों हवा दे रही है? सरकार को शांतिपूर्ण ट्रैक्टर परेड की अनुमति देनी चाहिए.”
दरअसल दिल्ली पुलिस और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच एक सहमति बनी थी, इस सहमति के साथ किसी भी सिख को आंदोलन में हथ्यार ले जाने की अनुमति नहीं होगी. दूसरा पुलिस ने एक रूट दिया था और उसी रुट पर किसान को ट्रैक्टर रैली निकालने की इज़ाज़त दी गयी थी.
हथियार की बात करें तो सिख अपने साथ धर्म के नाम पर गुंडागर्दी करने के लिए तलवार, भाला, लाठी, खंडा वगैरह रखते ही हैं. ऐसे में धर्म के नाम पर पहले तो वो आसानी से इन हथियारों को रैली में ले जाने में कामयाब रहे. इसके बाद उन्होंने पुलिस द्वारा दिए गए रूट से अलग लाल किले के बाहर परेड निकालने के लिए रुट बदल दिया.
बस फिर क्या था पुलिस और सुरक्षा जवानों के बीच झड़प होने लगी, सिखों ने महिला कांस्टेबल को पीटा आदि तमाम घटनाएं सामने आयी. पुलिस ने किसी पर भी गोली नहीं चलाई कारन सिर्फ एक था अगर गोली चलती तो गिद्ध पहले ही लाशों पर राजनीती करने के लिए तैयार बैठे थे.
खैर पुलिस ने आंसू गैस और और लाठीचार्ज जरूर किया जिसका नतीजा कुछ भी नहीं निकला. एक व्यक्ति बेरिकेट तोड़ने के लिए तेज़ रफ़्तार से ट्रैक्टर लेकर आगे बढ़ रहा था. इस दौरान बेरिकेट से टकराते ही ट्रैक्टर पलट गया और वह मौके पर ही मर गया. इस घटना पर कुछ लोगों ने अफवाह फैला दी की पुलिस की गोली का शिकार हुआ हैं.
पुलिस ने बाद में वीडियो जारी कर बताया की वह व्यक्ति खुद ही अपनी मौत का कारण बना था न की पुलिस ने गोली चलाई थी. इसके इलावा आज सुबह चिल्ला बॉर्डर के पास सुबह एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर को गोल घुमाकर स्टंट करते हुए दो लड़कों का ट्रैक्टर पलट गया. इस दौरान भी दोनों लड़कों को हलकी चोट भी आयी. फिलहाल दिल्ली में इंटनेट बंद हैं और सुरक्षा बलों की 15 कंपनियां तैनात हैं. आगे देखना यह होगा की यह आंदोलन आगे क्या रुख लेता हैं.