किसान आंदोलन में भी पहुंची बुर्के वालियां, रतनलाल की हत्या याद है न

किसान अंदोलन (Farmer Protest) पहले से ही बताया जा रहा है की इसे इस्लामिक और वामपंथियों द्वारा कब्ज़ा किया गया हैं. किसान आंदोलन में अब वामपंथी और वह कट्टर इस्लामिक भी जुड़ रहें हैं जिनका खेती, किसानी और पंजाब से कोई लेना देना नहीं हैं. बताया जा रहा है की अब 26 जनवरी की किसानों द्वारा निकली जाने वाली ट्रैक्टर परेड से पहले बुर्केधारियों को भी किसान आंदोलन में शामिल होते हुए देखा जा रहा हैं.

यह ट्रैक्टर परेड कोई आम परेड या फिर शांतिमय परेड नहीं होगी, बताया जा रहा है की खालिस्तानी मांग करने वाली एक संस्था ने लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को 1 करोड़ 80 लाख के आस पास इनाम देने की घोषणा की हैं. इससे पहले वामपंथी उमर खालिद (Umar Khalid) और शरजील इमाम (Sharjeel Imam) जैसे कट्टरपंथियों की रिहाई के लिए किसान महिलाओं के हाथों में तख्तियां पकड़वा चुके हैं.

आपको CAA को लेकर उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगे याद ही होंगे, इन दंगों में दिल्ली पुलिस के रतन लाल की हत्या भी याद होगी. याद रहे उन्होंने मौत के मुंह में घसीटने वाली महिलाएं कोई और नहीं बल्कि बुर्केधारी महिलाएं ही थी. चांदबाग के इलाके से ही इन दंगो का आगाज़ हुआ था. डीसीपी अमित शर्मा (DCP Amit Sharma) और कॉन्सटेबल रतन लाल (Constable Ratan Lal) को बुर्केधारी महिलाओं ने घेर लिया था और फिर अचानक गोलियां चलने की आवाज़ आने लगी और डीसीपी अमित शर्मा को बचाते हुए कॉन्सटेबल रतन लाल शहीद हो गए थे.

दिल्ली राइट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी (Delhi Riots 2020: The Untold Story) जी हाँ वही किताब जिसको लेकर बहुत विवाद भी हुआ था, इस किताब में मोनिका अरोड़ा (Monika Arora) ने लिखा था की हमले से पहले महिलाओं ने अपने कपड़ों में तलवार, चाकू और पत्थर छुपा रहे थे और जब रोड जाम खुलवाने डीसीपी अमित शर्मा अन्य पुलिस अधिकारी भीड़ के पास पहुंचे तो महिलाओं ने इन्हें घेर कर पत्थर चलाने शुरू कर दिए, और कुछ देर बाद ही गोलियां चलने लगी.

अब सवाल यह उठता है की क्या 26 जनवरी को हमने वैसा ही मंज़र देखने को मिलने वाला हैं? क्योंकि बुर्के में छुपी महिला, महिला है भी या नहीं पता नहीं चलता. न कैमरा में उसकी शक्ल आती है और न ही बाद में वो पकड़ी जाती हैं. उधर सिख भी बूढी औरतों को ट्रेक्टर चलाना सीखा रहें हैं, ऐसे में हो सकता है की सिख भी अपनी महिलाओं को आगे रखते हुए इस ट्रेक्टर रैली (Tractor Rally) की शुरुआत करें.

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