पुरानी जींस से स्कूल बैग आदि बनाकर गरीब बच्चों को बांटती है यह लड़की

भगवान् कुछ रिश्ते बनाकर भेजता है जैसे माँ-बाप, भाई-बहन, रिश्तेदार और शादी का भी कहा जाता है की जोड़ियां ऊपर वाला बनाकर भेजता हैं. लेकिन दोस्ती एक ऐसा रिश्ता हैं, जिसे आप खुद चुनते हैं और अगर दोस्ती अच्छी हो तो जीवन खुशियों से भर जाता है और अगर बुरी हुई तो जीवन नर्क से बत्तर हो सकता हैं.

आज हम आपको दोस्ती के विषय पर बहुत ही सकरात्मक खबर देने जा रहें हैं, जिसे पढ़कर आप भी कहेंगे की भगवान् मेरे बच्चे भी आपने जीवन में ऐसे दोस्त चुने या काश मेरे दोस्त भी ऐसे होते. यह खबर है मृणालिनी राजपुरोहित और उसके दो दोस्त अतुल मेहता और निखिल गहलोत की. इन तीनों ने तय किया की यह समाज के लिए कुछ अलग करना चाहेंगे.

मृणालिनी राजपुरोहित के पास फैशन डिज़ाइनर (Fasion Designer) की डिग्री हैं इसलिए उन्होंने शुरू घर से ही की. अपनी पुरानी जीन्स से उन्होंने स्कूल बैग, पेंसिल बॉक्स और चप्पल- जूता बनाने शुरू किये और एक स्कूल में बच्चों में बाँट दिया. अब आगे क्या? तो तीनों ने सोचा की हमने के स्टार्टअप (Startup) शुरू कर देना चाहिए, जिससे हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक यह सामान पहुंचा पाएंगे.

‘सोलक्राफ्ट’ जी हाँ इस स्टार्टअप को नाम दिया गया और डोनेशन की मदद से सोलक्राफ्ट (SaulCraft) अभी तक लगभग 1200 छोटे स्कूलों जहां सिर्फ गरीब बच्चे ही पढ़ने जाते हैं उन तक अपनी मदद पहुंचा चुके हैं. सोलक्राफ्ट में 5 कारीगर काम करते हैं और प्रति व्यक्ति तनख्वा 20000 रूपए है जिनसे उन कारीगरों का घर भी चलता हैं.

मृणालिनी का नाम और उनका काम सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हुआ तो न्यूज़ मीडिया (News Media) भी उनके पास पहुंचा और मृणालिनी ने उन्हें बताया की, “गरीब बच्चो के लिए सस्टेनेबल फैशन, ये उनलोगो का टैगलाइन हैं. डेनिम और जीन्स ऐसे कपड़े है जिन्हें हम कुछ सालों तक तो इस्तेमाल करते है उसके बाद छोड़ देते है, हमारे पास इसका कोई इस्तेमाल नही होता है, परन्तु इसकी खासियत ये है को डेनिम और जीन्स जल्दी फटती नही. इसलिए हमने डेनिम से जरूरत की चीज़ें बनाना शुरू किया.”

सोलक्राफ्ट का कहना है की इससे पर्यावरण (Environment) को भी काफी फायदा होगा, जैसे हमने अगले एक साल में 1 लाख बच्चों तक मदद पहुँचाने का लक्ष्य रखा हैं इससे 10 टन डिस्कार्ट डेनिम जीन्स (Denim Jeans) अप-साइकिल (Up-Cycle) किया जा सकेगा. उनका दोस्त निखिल गहलोत सोलक्राफ्ट में चीफ इन्नोवेशन ऑफिसर (Chief Innovation Officer) हैं और वो बताते हैं की, “एक बार हम लोग एक सरकारी स्कूल में गए थे किट बांटने, जहा एक बच्चें ने आधी टूटी चप्पल पहनी थी. उसके आधे पैर जमीन पर थे और आधे पैर चप्पल में, उसके पास स्कूल बैग भी नही था, जिस वजह से वो हाथ मे अपनी किताबे लेके आया था. जब हमने उसको ये किट दी तो उसे बहुत ही खुशी हुई, उस खुशी को हमने अपने कैमरे में कैद किया. जो आज भी हमारे पास सुरक्षित रखा है.”

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