सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन को ख़त्म करवाने के लिए बहुत ही बढ़िया पहल की हैं, बताया जा रहा है की गतिरोध को ख़त्म करने के लिए सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिलों पर रोक लगा दी हैं और एक समिति का गठन किया हैं. यह समिति सरकार, बिल के समर्थन में किसान और बिल के विरोध में किसानों के बीच मध्यस्ता करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की, “जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे.” उन्होंने कहा की हम जनता के जीवन और देश की सम्पति को लेकर चिंतित हैं. यह टिप्पणी उन्होंने सरकारी और गैर सरकारी सम्पति को पहुंचाए गए नुक्सान और ठण्ड की वजह से या फिर किसान आंदोलन (Farmer Protest) में शामिल होने आ रहे सड़क दुर्घटना में मरने वाले वाले लोगों पर चिंता व्यक्त करते हुए की हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक तरफ जहाँ इसे वामपंथी मीडिया सरकार की हार और किसानों की जीत बता रही हैं. वही भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के बिंदर सिंह गोलेवाला (Binder Singh Golewala) का कहना है की, “हम सुप्रीम कोर्ट से विनती करना चाहेंगे कि कानूनों पर रोक नहीं बल्कि कोर्ट को कानूनों को रद्द करने का फैसला करना चाहिए क्योंकि डेढ़ महीना हो गया है सरकार इस पर कुछ सोच नहीं रही है.”
सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर धरना दे रहे एक और किसान नेता ने मीडिया को बयान देते हुए कहा है की, “सुप्रीम कोर्ट के रोक का कोई फायदा नहीं है क्योंकि यह सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए. यह सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है यह सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले. जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा.”
हम सुप्रीम कोर्ट से विनती करना चाहेंगे कि कानूनों पर रोक नहीं बल्कि कोर्ट को कानूनों को रद्द करने का फैसला करना चाहिए क्योंकि डेढ़ महीना हो गया है सरकार इस पर कुछ सोच नहीं रही है: बुराड़ी ग्राउंड से बिंदर सिंह गोलेवाला, भारतीय किसान यूनियन #FarmLaws pic.twitter.com/yRMwU4U4LO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 12, 2021
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इन किसान नेताओं से आग्रह किया है की, “यह राजनीति नहीं है. राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा.” लेकिन इस आंदोलन में अपनी राजनीती तलाश कर रहे नेता पहले सरकार और फिर अब सुप्रीम कोर्ट की बात को भी न मानने का मूड बना चुके हैं.