इस राज्य में कृषि कानून के समर्थन में किसानों ने निकाली विशाल रैली

इस वक़्त भारत में केवल और केवल किसानों की चर्चा हो रही हैं, लेकिन सिर्फ पंजाब के. दरअसल देश में 15 करोड़ के आस-पास लोग खेती करके अपने घर का गुजारा करते हैं. इन किसानों की सबसे बड़ी मांग यह थी की किसानों को यह हक़ दे दिया जाये की वह अपनी फसल का रेट खुद तय कर सके. साथ ही वह जिसे चाहें और जिस राज्य में चाहें अपनी फसल बेच सके.

पिछले 70 साल से इस तरह के कानून लाने और बनाने की चर्चा तो हुई लेकिन वह चर्चा महज़ कागज़ों और चुनावी वादों तक सिमित रही. अब मोदी सरकार ने यह बिल लाकर किसानों की आय दौगुनी करने की ओर सबसे बड़ा कदम उठाया हैं. लेकिन पंजाब ऐसा राज्य है जहां देश के सबसे समृद्ध किसान रहते हैं.

उत्तर प्रदेश ओर बिहार के लोग पंजाब के खेतों में जाकर इन जमींदारों के लिए खेती करते हैं. जबकि इन मजदूरों के पास अपने खुद के भी खेत होते हैं. लेकिन इनको अपने खेतों में काम करके इतने पैसे नहीं बचते जितने पैसे यह पंजाब के जमींदारों के खेतो में मजदूरी करके कमा लेते हैं.

अब इस कानून की वजह से बिहार ओर उत्तर प्रदेश के किसान अपने फसलें कॉर्पोरेट को बेचकर अच्छा पैसा कमा सकेंगे. लेकिन इससे नुक्सान पंजाब के जमीदारों का होगा, क्योंकि उनके खेतों में काम कौन करेगा? इससे नुक्सान विचौलियों का होगा क्योंकि अब उन्हें कौन पूछेगा?

सरकार चाहती है की जिन किसान नेताओं को बिल से जुडी जो शिकायत है वह आकर वार्तालाप के जरिये हमें बताये. अगर उससे जुड़ा कोई भ्रम होगा तो हम दूर कर देंगे और अगर शिकायत सही हुई तो हम बैठकर कोई हल निकालेंगे. लेकिन पंजाब के किसान नेताओं का कहना है की बिल सीधे तौर पर रद्द हो.

दूसरी तरफ बीजेपी के स्वतंत्र देव सिंह ने अपने ट्विटर पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा है की, “दशकों पुरानी मांग पूरी होने की खुशी में किसानों ने मेरठ से गाजियाबाद तक हज़ारों ट्रैक्टरों पर सवार हो कर कृषि बिल के समर्थन में रैली निकाली है. यह वीडियो देख कर कांग्रेसियों और दलालों को पीढ़ा होना स्वाभाविक है.”

यहां तक की उत्तर प्रदेश, हिमाचल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और उत्तराखंड के किसान संगठनों ने लिखित तौर पर तीनों बिलों का समर्थन करते हुए कहा है की, अगर केंद्र ने यह तीनों बिल किसी के दबाव में आकर वापिस लिए तो वह देश भर में आंदोलन शुरू कर देंगे. जिस वजह से सरकार अब गरीब किसानों और जमींदार किसानों के बीच में फसी हुई नज़र आ रही हैं.

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