Pro-Tem Speaker: कर्नाटक में Pro-Tem Speaker की ये ताकतें कांग्रेस के लिए बनेंगी मुश्किल ! कर्नाटक में 2 दिन पुरानी येदुरप्पा सरकार के flor test को संचालित कराने वाले प्रो-टेम स्पीकर के पास वही power होंगे! जो पूर्णकालिक speaker के पास होते हैं! यानि गर्वनर के बाद अब नए Pro-Tem स्पीकर कांग्रेस और JDS के लिए नया सिरदर्द बनने वाले हैं! प्रो-टेम स्पीकर नई assembly में चुन कर आए MLA को शपथग्रहण तो कराएंगे ही लेकिन सबसे बड़ी बात उनकी Power की है! इससे वो दल बदल कानून पर सत्तारूढ सरकार की नैया पार करा सकते हैं!
Pro-Tem Speaker-
Supreme court के अनुसार प्रो-टेम स्पीकर ही ये फैसला भी करेगा! कि येदुरप्पा सरकार के शक्ति परीक्षण को खुले तौर पर हाथ उठाकर किया जाए या फिर बैलेट में voting के आधार पर!
क्यों होती है pro-tem की नियुक्ति
जब भी नई Assembly का कार्यकाल शुरू होता है, तब नए speaker या नए डिप्टी स्पीकर का पद भी खाली होता है! जिसे नई Assembly के सदस्य मिलकर चुनते हैं लेकिन उससे पहले assembly की शुरुआती कार्यवाहियों को अंजाम देने के लिए प्रो-टेम स्पीकर की नियुक्ति की जाती है! लोकसभा में ये काम President द्वारा होता है और राज्यों में विधानसभा के लिए ये काम राज्यपाल करते हैं!
संवैधानिक तौर पर गलत नहीं
वो सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को अामतौर pro-tem speaker नियुक्त करते हैं! जो विधानसभा में आगे की कार्यवाही को तब तक संचालित करता है! जब तक कि सदन का पूर्णकालिक स्पीकर या Deputy speaker नहीं मिल जाए! तब सदन उसी के दिशानिर्देश पर चलता है! संवैधानिक विशेषज्ञ PDT आचार्या कहते हैं! कि Pro-tem स्पीकर द्वारा फ्लोर टेस्ट कराना कहीं से भी संवैधानिक तौर पर गलत नहीं है!
क्या हुआ था जब Modi सरकार सत्ता में आई थी
जब Modi सरकार वर्ष 2014 में सत्ता में आई थी तो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने congress के नेता कमल नाथ को प्रो-टेम स्पीकर बनाया था! वो तब loksabha के सबसे सीनियर सदस्य थे! वर्ष 2009 में आम चुनावों के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति Partibha patil ने मानिकराव गोवित को प्रो-टेम स्पीकर बनाया था, तब गावित नई लोकसभा के सबसे सीनियर सदस्य थे!
Pro-tem स्पीकर चाहे तो ये कर सकता है
चूंकि शनिवार को होने flor test में येदुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 8 वोटों की और जरूरत होगी! तो उन्हें speaker के तौर पर ऐसे शख्स की जरूरत होगी! जो उनके लिए सुविधाजनक हो और दल बदल कानून की शिकायतों से भी बचा सके! अगर speaker चाहे तो व्हिप के खिलाफ जाकर vote करने वाले या दलबदल कर दूसरी party में शामिल होने वाले MLA की अयोग्यता पर लंबे समय तक फैसला टाल सकता है! ऐसा ही काम Karnataka की पूर्व विधानसभा के स्पीकर ने भी किया था! एेसे ही वाकये Andhra-pradesh, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में भी हो चुके हैं! सत्ताधारी party की सुविधा के लिए speaker अपने फैसले को लंबे समय तक टालते ही रहे! या फिर फैसला दिया ही नहीं!
क्या है मौजूदा Assembly का आंकड़ा
कर्नाटक की मौजूदा 222 सदस्यीय assembly में बहुमत के लिए BJP को 112 के आंकड़े की जरूत है! जबकि Congress और JDS के विधायकों को मिला दें तो दूसरी ओर विधायकों की संख्या 116 है! BJP को बहुमत के लिए 8 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी! BJP के पास मौजूदा समय में 104 MLA हैं!
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