How hard a slap to Jaishankar India has never been so humiliated: अभी हाल ही में, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपने बयान में भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से कहा कि भारत और चीन को सिर्फ “इमरजेंसी प्रतिक्रिया” का सहारा लेने के बजाय विवादित सीमा के “सामान्यीकृत प्रबंधन” पर ध्यान देना चाहिए.” बता दें कि यह बात उन्होंने ताजिकिस्तान के दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन से इतर एक बैठक में गुरुवार को कही थी.
गौरतलब है कि, भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanyam Swami) ने इस मसले पर अपनी राय देते हुए कहा कि यह जयशंकर के लिए कितना बड़ा तमाचा है. साथ ही चार्ट उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत दुनिया की नजर में इतना कभी अपमानित नहीं हुआ. बता दें कि, माइक्रो ब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म टि्वटर पर स्वामी को टैग करते हुए @GurudathShettyK नाम के यूजर ने चीन के विदेश मंत्री के उक्त बयान का हवाला देते हुए उससे जुड़ी खबर शेयर की थी, जिसके जवाब में बीजेपी सांसद ने अपनी यह प्रतिक्रिया दी.
Dr.@Swamy39 ji,
India, China should focus on ‘normalised management’ of border: Wang Yi to MEA S. Jaishankar at SCO https://t.co/ZqzCPE8hbh— Gurudath Shetty Karkala (@GurudathShettyK) September 17, 2021
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “जयशंकर को कितना कड़ा तमाचा. हमारे विदेश मंत्री ने अभी-अभी अपनी पीठ थपथपाई और भारत लौट आए. भारत दुनिया की नजर में इतना अपमानित कभी नहीं हुआ.”
वहीं दूसरी ओर, चीन ने शुक्रवार को जयशंकर के उस बयान पर सहमति जताई, जिसमें उन्होंने कहा कि बीजिंग को भारत के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखना चाहिए. इस पर चीन ने कहा कि चीन-भारत के संबंधों के अपने ”अंतर्निहित तर्क” हैं. जयशंकर ने यी से कहा कि दोनों पक्षों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से जुड़े पेंडिंग मुद्दों का जल्द हल निकालने के लिए काम करना चाहिए.
इस दौरान, जयशंकर बोले कि,”दोनों पक्षों को ‘‘परस्पर सम्मान’’ आधारित संबंध बनाने होंगे और जिसके लिए यह जरूरी है कि चीन, भारत के साथ अपने संबंधों को, तीसरे देशों के साथ अपने संबंधों के दृष्टिकोण से देखने से बचे.” जयशंकर की टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा, ” हम भारतीय पक्ष की टिप्पणी से सहमत हैं.”
बता दें कि, जयशंकर ने अपने वक्तव्य में ‘‘एक तीसरे देश’’ का जिक्र किया, जबकि विदेश मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य में ‘‘तीसरे देशों’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है. सूत्रों के अनुसार, बताया जाता है कि दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां के घटनाक्रमों पर भी विचार साझा किए. बयान के मुताबिक, जयशंकर ने याद किया कि वांग ने 14 जुलाई को उनकी पिछली मुलाकात के दौरान जिक्र किया था कि द्विपक्षीय संबंध निम्न स्तर पर रहे हैं.