India played an important role in UNSC resolution: अफगानिस्तान में तालिबान का साम्राज्य स्थापित हो जाने के बाद कई देश डरे हुए हैं. तालिबान का राज स्थापित होने के बाद मुल्क की जमीन का इस्तेमाल किसी और देश के खिलाफ न हो, इस मांग को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित हुआ है. गौरतलब है कि इस प्रस्ताव को पारित कराने में भारत की केंद्रीय भूमिका रही है. सूत्रों के मुताबिक नई दिल्ली की इस प्रस्ताव में एक्टिव भूमिका रही है. 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्यों वाले इस संगठन ने प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि तालिबान को अपने वादों पर खरा उतरना चाहिए और सुनिश्चित करना जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ न हो पाए.
इसके अलावा इस प्रस्ताव में अफगानिस्तान छोड़ने वाले लोगों को आसानी से जाने देने की मांग की गई है. इसके साथ साथ अफगानिस्तान में मानवीय मदद पहुंचा रहे संगठनों को काम करने से न रोकने को कहा गया है. बीते कुछ दिनों से इस मामले को लेकर भारत लगातार सुरक्षा परिषद के सदस्यों के संपर्क में था. हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jayshankar) ने फोन पर बात की थी. इसमें भी उन्होंने इस प्रस्ताव को लेकर बात की थी. इसके अलावा अन्य देशों से हुई बातचीत में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी.
इस कड़ी में सरकारी सूत्रों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2593 अफगानिस्तान (Afganistan) को लेकर भारत की मुख्य चिंताओं को संबोधित करता है. हालांकि इसे पारित कराने में हमने सक्रिय भूमिका किया है. विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रींगला ही यूएनएससी की उस मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें यह प्रस्ताव पारित किया गया. बता दें कि इस प्रस्ताव में कहा गया है, ‘अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी और देश पर हमले, उसके दुश्मनों को शरण देने, आतंकियों को ट्रेनिंग देने या फिर दहशतगर्दों को फाइनेंस करने के लिए नहीं किया जाएगा.’
जैश और लश्कर का हुआ जिक्र, भारत को मिली बढ़त
गौरतलब है कि इस प्रस्ताव में खासतौर पर भारत के कट्टर दुश्मन कहे जाने वाले आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का भी नाम लिया गया है. इसके अलावा अफगानिस्तान से भारत आने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर भी बात कही गई है. सूत्रों ने कहा कि इससे उन भारतीय नागरिकों को मदद मिलेगी, जो अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं और भारत लौटना चाहते हैं. इससे अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भी मदद मिलेगी, जो देश से निकलना चाहते हैं.