अफगानिस्तान में तालिबान पर हो रहा डबल अटैक, 300 लड़ाके हुए ढेर, 3 जिले भी कब्जे से बाहर

Double attack on Taliban in Afghanistan: अभी हाल ही में अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान को पहली बार कड़ी चुनौती मिली है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बगलान प्रांत के तालिबान (Taliban) पर घात लगाकर हमला किया गया, जिसमें तालिबान के 300 लड़ाके मारे गए. वहीं, टोटो न्यूज को उत्तरी अफगान प्रांत बगलान के स्थानीय सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी है कि स्थानीय विद्रोही बलों ने तीन जिलों को तालिबान के नियंत्रण से वापस ले लिया है. सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के भारी हताहत एवं जानमाल की क्षति होने की खबर है.

गौरतलब है कि यह 34 में से 33 प्रांतों के पतन के बाद तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण करने के बाद इस तरह की लड़ाई का यह पहला उदाहरण है. हालांकि तालिबान ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है.

बानू के पूर्व पुलिस प्रमुख असदुल्ला ने अपने बयान में कहा, “ऊपर वाले और मुजाहिदीन (Muzahiddin) के समर्थन से, तीन जिलों को मुक्त किया गया है. हम अब खिनजान जिले की ओर बढ़ रहे हैं. जल्द ही बगलान प्रांत को साफ कर देंगे.” वहीं दूसरी ओर बगलान में राजमार्ग के प्रभारी पूर्व पुलिस कमांडर गनी अंदाराबी ने कहा, “अल्लाह की मदद से, हमने तालिबान को बड़े पैमाने पर हताहत किया है. वर्तमान में बानू जिला सार्वजनिक विद्रोही ताकतों के नियंत्रण में है.”

रिपोर्ट के मुताबिक बगलान में घुसने के बाद तालिबान ने घर-घर जाकर तलाशी ली, जिसका लोगों ने जवाबी हमला किया. हालांकि तालिबान ने आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन ऐसी अपुष्ट खबरें हैं कि तालिबान इन जिलों पर फिर से कब्जा करने की तैयारी कर रहा है.

अहमद मसूद ने तालिबान को दी चुनौती

इससे पहले अफगानिस्तान (Afganistan) में पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने तालिबान के साथ जाने के दावे को खारिज कर दिया है. मसूद ने कहा है कि वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेगा और तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा. साथ ही तालिबान को ललकारते हुए कहा कि विरोध की शुरुआत हो चुकी है.

बता दें कि फ्रांसीसी दार्शनिक बर्नार्ड-हेनरी लेवी ने बताया कि मैंने अहमद मसूद से फोन पर बात की. उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूं. मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नहीं है. गौरतलब है कि अहमद के पिता पहले सोवियत संघ और फिर तालिबान के खिलाफ विरोध का प्रमुख चेहरा थे. काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अब मसूद की विरासत उनके 32 वर्षीय बेटे ने संभाली है.

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