First time in the history of the last 75 years:भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. इसी के साथ ऐसा करने वाले वे भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे.
गौरतलब है कि यह बैठक वर्चुअली हो रही है और इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समुद्री सुरक्षा पर एक ओपन डिस्कशन की अध्यक्षता करेंगे. यूनाइटेड नेशन में भारत के पूर्व राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि 75 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारत का कोई प्रधानमंत्री UNSC मीटिंग की अध्यक्षता करेगा. हाल ही में बीते 1 अगस्त को ही भारत के पास UNSC की अध्यक्षता आई है. पूरे अगस्त महीने तक भारत UNSC का अध्यक्ष रहेगा.
आइये हम आपको बताते है कि UNSC क्या है? यह किस तरह से और क्या काम करती है? भारत क्यों इसका स्थायी सदस्य बनना चाहता है? स्थायी सदस्य बनने से क्या बदलेगा? और भारत को UNSC की अध्यक्षता क्यों सौंपी गई है…
सबसे पहले साधारण भाषा मे समझिए की UNSC क्या है?
UNSC यूनाइ़टेड नेशंस के 6 प्रमुख अंगों में से एक है. इसका काम दुनियाभर में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देकर देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रोत्साहित करना है. दरअसल 20वीं सदी के शुरुआती 5 दशकों में ही दुनिया ने दो विश्वयुद्धों की भीषण त्रासदी देखी थी. इस कारणों से कई देश पूरी तरह बर्बाद हो गए थे और पूरी दुनिया में अशांति का माहौल था. तभी एक ऐसी संस्था की मांग उठने लगी थी जो देशों के बीच शांति और सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में काम करे. इसी फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थापना हुई.
हम आपको बताते चले की सुरक्षा परिषद की पहली बैठक 17 जनवरी 1946 को हुई थी. गठन के समय सुरक्षा परिषद में 11 सदस्य थे जिसे 1965 में बढ़ाकर 15 कर दिया गया है.
विश्व के कौन-कौन से देश सुरक्षा परिषद के सदस्य हैं?
वर्तमान में सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य देश हैं, जिन्हें स्थायी और अस्थायी सदस्यता दी गई है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन 5 स्थायी सदस्य हैं. स्थायी सदस्यों के पास वीटो पावर होता है. स्थायी सदस्य इसका इस्तेमाल कर किसी भी प्रस्ताव को पास होने से रोक सकते हैं.
इनके अलावा सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं. इन अस्थायी सदस्यों का चयन क्षेत्रीय आधार पर किया जाता है। अफ्रीका और एशियाई देशों से 5, पूर्वी यूरोपीय देशों से 1, लेटिन अमेरिकी (USA) और कैरिबियाई देशों से 2 और पश्चिमी यूरोपीय और अन्य 2 देशों का चयन किया जाता
अस्थायी सदस्य बनने के लिए वोटिंग होती है. किसी देश को तभी सदस्य बनाया जाता है जब UN के दो-तिहाई देश उस देश के पक्ष में वोटिंग करते हैं. भारत इस साल जनवरी में ही UNSC का अस्थायी सदस्य बना है। पिछले साल जून में हुई वोटिंग में भारत को 192 में से 184 वोट मिले थे. भारत 31 दिसंबर 2022 तक सुरक्षा परिषद का सदस्य रहेगा.
अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल 2 साल का होता है। हर साल 5 नए सदस्यों के लिए चुनाव होता है.
आखिर क्यों भारत स्थायी सदस्य नहीं है?
गौरतलब है की भारत UNSC का स्थायी सदस्य नहीं है. भारत स्थायी सदस्य बनने के लिए काफी समय से प्रयास कर रहा है, लेकिन भारत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा चीन है. चीन हर बार अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर भारत को स्थायी सदस्य बनने से रोक देता है. चीन के अलावा फ्रांस, अमेरिका, रूस और ब्रिटेन भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने पर अपनी सहमति जता चुके हैं.
पिछले करीब 4 दशकों से UNSC के स्ट्रक्चर में बदलाव की मांग भी उठती रही है। देशों का कहना है कि UNSC में स्थायी और अस्थायी सदस्य बनने का मॉडल प्रजातांत्रिक नहीं है. स्थायी सदस्यों को विशेष शक्तियां मिली हुई हैं जो भेदभावपूर्ण है. अतः इसमें बदलाव किया जाना चाहिए.
साथ ही साथ UNSC में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व भी कम है, लेकिन स्थायी सदस्य नहीं चाहते कि इसमें किसी तरह का बदलाव हो और किसी दूसरे देश को वीटो पावर मिले. गौरतलब है कि भारत के अलावा जापान, जर्मनी और ब्राजील भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का प्रयास कर चुके है.
आइये हम आपको बताते है की भारत क्यो स्थायी सदस्य बनना चाह रहा है –
सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज, जेएनयू के प्रोफेसर डॉक्टर सुधीर सुथार के मुताबिक, मुख्यतः इसके 3 कारण हैं, जो कि क्रमशः है –
1- भारत हमेशा से एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था स्थापित करने का पक्षधर रहा है. इसके लिए UNSC का डेमोक्रेटिक कैरेक्टर होना जरूरी है.
2- भारत का यह मानना है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में UNSC का स्ट्रक्चर बदला जाना चाहिए और उसे ज्यादा डेमोक्रेटिक होना चाहिए.
3-भारत जनसंख्या के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. साथ ही भारत की अपनी स्ट्रैटजिक लोकेशन की वजह से इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में महत्वपूर्ण भूमिका है।. इस वजह से भारत का प्रतिनिधित्व होना UNSC की फंक्शनिंग के लिए बेहतर होगा.
आखिर क्यों चीन भारत की स्थायी सदस्यता का करना है विरोध –
चीन और भारत के रिश्तों में सीमा विवाद एक बड़ा मुद्दा है. चीन को डर है कि अगर भारत UNSC का स्थायी सदस्य बनेगा तो वो उसके समकक्ष आ जाएगा. इससे दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन की वर्तमान स्थिति पर असर पड़ेगा. इसके साथ ही चीन और पाकिस्तान को गुटबंदी भी इसकी वजह है. भारत का चीन और पाकिस्तान दोनों से सीमा विवाद चलता रहता है. अगर भारत स्थायी सदस्य बना तो चीन के दोस्त पाकिस्तान के लिए भी ये अच्छा नहीं होगा.
सरल भाषा मे कहे तो चीन यह नही चाहता की विश्व पटल पे भारत उसके समकक्ष खड़ा हो.
भारत के स्थायी सदस्य बनने से क्या परिवर्तन आयेगा –
गौरतलब है की इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में किसी भी देश की भूमिका कई तरह के फेक्टर पर निर्भर करती है. आर्थिक स्थिति, डिप्लोमेटिक रिलेशंस, रिसर्च और डेवलपमेंट से लेकर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इसमें शामिल है. भारत के लिहाज से देखा जाए तो ये एक सिंबोलिक स्थिति होगी. इससे इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में भारत की भूमिका जरूर बढ़ेगी. विश्व पटल पर भारत की स्तिथि और मजबूत होगी