Amit Shah’s masterstroke in view of farmers’ movement: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के गलियारों में चर्चाओं का बाजार मंगलवार की रात तब गर्म हो उठा जब 1 महीने के भीतर ही दिल्ली को उसका तीसरा पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) के रूप में मिला केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वरिष्ठ आई राकेश अस्थाना को उनके रिटायरमेंट के से 3 दिन पहले यह जिम्मेदारी दी गई.
राकेश अस्थाना मूल रूप से गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी हैं उन्हें 1 साल का सेवा में विस्तार दिया गया है गृह मंत्रालय के आदेश अनुसार वर्तमान समय में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत राकेश अस्थाना तत्काल प्रभाव से दिल्ली पुलिस कमिश्नर का कार्यभार संभालेंगे.
कुछ समय पहले ही उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट(NSA) लगाने का अधिकार दिया था इस संबंध में जारी नोटिफिकेशन में एलजी द्वारा दिल्ली पुलिस कमिश्नर को 19 जुलाई से 18 अक्टूबर तक यह अधिकार प्राप्त है. उपराज्यपाल का इस अधिकार को कमिश्नर के हाथ में देना और उसके तुरंत बाद गृह मंत्रालय द्वारा राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर पद देना अमित शाह की बड़ी रणनीति हो सकती है.
विगत कुछ वर्षों में दिल्ली बड़े-बड़े दंगों का केंद्र बन चुकी है, वर्तमान समय में भी गाजीपुर और दिल्ली से सटे सभी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन या कुछ समय पहले तक शाहीन बाग में CAA या NRC को लेकर धरना. इन सब को चलते देश को बहुत अधिक जान-माल की हानि हुई है जिससे विश्व में विश्व स्तर पर भारत की छवि धूमिल हुई है. राकेश अस्थाना के लंबे समय के कार्यकाल का अनुभव का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार देश की देश की राजधानी में कानून व्यवस्था को ठीक करने में जुटी है. सेवा विस्तार देकर गृह मंत्रालय ने यह साफ कर दिया है कि वह राकेश अस्थाना के अनुभव का पूरा फायदा दिल्ली की कानून व्यवस्था को ठीक करने लिया जाएगा क्योंकि अपने पिछले रिकॉर्ड में भी अस्थाना नहीं बहुत बड़े बड़े मामलों को निपटाने में अहम भूमिका निभाई है.
साल 2002 के गोधरा कांड की जांच तथा 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में जो आग लगाई थी उसके साथ 2008 में अहमदाबाद में बम ब्लास्ट की जांच में भी राकेश अस्थाना शामिल रहे थे. अब दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में यह बात देखने में रोचक होगी किस तरह वो सीमा पर किसानों के रूप में गुंडों को जेल की यात्रा करवाते हैं.