Congress party can play big bet on Shatrughan Sinha: बिहार कांग्रेस में बड़े उलटफेर की शुरुआत हो चुकी हैं कांग्रेस (Congress) पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार कर रही है. दलित-पिछड़ा और मुस्लिम वोट पर केंद्रित बिहार की राजनीति में कांग्रेस एक नया अध्याय लिखने जा रही है. बिहार कांग्रेस प्रभारी दलित नेता भक्त चरण दास की रिपोर्ट और 2020 का चुनाव जीतने वाले विधायकों, विधान पार्षदों व पार्टी नेताओं से मशविरे के बाद आलाकमान बिहार कांग्रेस की कमान पार्टी नेता व फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा (Shutraghan Sinha) को सौंपने की तैयारी कर रही है.
गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर मदन मोहन झा का कार्यालय सितंबर में समाप्त हो रहा है और अनुमान लगाया जा रहा था कि इनका उत्तराधिकारी कोई अनुसूचित जाति का या फिर मुस्लिम होगा. किसी सवर्ण को भी बिहार (Bihar) की कमान देने के कयास लगाए जा रहे थे. इस अध्यक्ष पद की रेस में जिन नेताओं के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे थे, उनमें दलित नेताओं में राजेश कुमार, मुस्लिम में तारिक अनवर, जबकि सवर्ण नेताओं में अखिलेश प्रसाद सिंह और अजीत शर्मा के नाम थे. पार्टी नेताओं की दिल्ली में राहुल गांधी के साथ हुई मुलाकात और नेताओं का पक्ष जाने के बाद राहुल और बिहार प्रभारी की भी एकांत में एक राउंड बातचीत हुई. सूत्रों की मानेें तो उसी बैठक में पार्टी प्रभारी ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए शत्रुघ्न सिन्हा के नाम का प्रस्ताव आलाकमान को दिया गया. आलाकमान भी प्रभारी के प्रस्ताव से सहमत है.
बिहार में अपना भविष्य देख रही पार्टी
कांग्रेस शत्रुघ्न सिन्हा के सहारे बिहार में अपना भविष्य देख रही है. बिहार की सत्ता से कॉन्ग्रेस के बाहर होने के बाद फिर क्षेत्रीय दलों के उभार के साथ कायस्थ हाशिए पर चले गए.क्षेत्रीय दलों ने उन्हेंं उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया. अलबत्ता भाजपा इसमें अपवाद रही, जिसने कायस्थों को थोड़ा बहुत मान-सम्मान दिया. इससे पहले कांग्रेस ने कायस्थों को राजनीति में भरपूर मौके दिए. नतीजा 1952 में कायस्थ जाति के 40 विधायक चुनाव जीत सदन तक पहुंचे थे. समय के साथ कायस्थों का प्रतिनिधित्व राजनीति में घटता गया. 2010 में यह संख्या मात्र चार हो गई.