राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघसंचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के डीएनए वाले बयान ने सियासी गलियारों में हंगामा मचा दिया है. ध्यान देने वाली बात यह है कि मोहन भागवत पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं. यही नहीं आने संघ नेताओं ने भी ऐसा बयान पहले दिया है. गौरतलब है कि भागवत ने एक किताब के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा था कि ,’भारत में रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक है चाहे वह किसी भी धर्म के क्यों न हो. उन्होंने कहा कि हजारों साल पहले सभी के पूर्वज एक ही थे. चाहे उनकी पूजा पद्धति अलग-अलग क्यों ना हो. पूजा करने के लिए अलग-अलग तरीकों के आधार पर उनके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है.’
भागवत के इस बयान से उनकी उनके विरोधी दलों की परेशानी बनती दिख रही है इसके कई मायने भी निकाले जा सकते हैं. भागवत के इस कथन को उत्तर प्रदेश (Uttaer Pradesh) सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा सकता है. संघ विरोध के नाम पर अभी तक एक समुदाय विशेष का वोट बीजेपी (BJP) के खिलाफ गिरता आया है. ऐसे में यदि हिंदू-मुस्लिम एकता को लेकर भागवत के इस बयान ने सियासी समीकरण को गिराने का काम कर दिया है.
बीजेपी ने कहा-बयान बिल्कुल ही सही
गौरतलब है कि भागवत के बयान में अपने सुर मिलाकर अब कई बीजेपी नेता ने भी कहा कि उनका बयान बिल्कुल सही है. बीजेपी का कहना है कि संघ प्रमुख ने सही कहा है और उसी तर्ज पर मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास फार्मूले पर काम कर रही है. वहीं बीजेपी ने यह दावा भी किया है कि मोदी सरकार की कई योजनाएं जैसे आवास योजना स्किल डेवलपमेंट या एक राष्ट्र एक राशन योजना सभी में बिना किसी भेदभाव के काम किया जा रहा है.
विरोधी कर रहे दुष्प्रचार
वहीं दूसरी ओर संघ के विरोधियों द्वारा लंबे समय से दुष्प्रचार किया जा रहा है. संघ के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में नफरत की सोच एक सोची-समझी रणनीति के तहत भरी जा रही है. इसलिए संग हमेशा अपने विरोधियों को कहता है कि हमें जानना है तो हम के लोगों में राष्ट्रवाद की भावना और हर धर्म के प्रति साधुवाद की भावना का अलग जगाना है.