कुछ दिनों से चल रहा है टि्वटर सरकार के तनातनी के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. हाईकोर्ट ने गाजियाबाद में बुजुर्ग से मारपीट के वायरल वीडियो मामले में ट्विटर के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. माहेश्वरी ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की है ताकि सुनवाई के दौरान उनका पक्ष भी सुना जाए.
ध्यान देने वाली बात यह है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने गाजियाबाद में लोनी पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी में माहेश्वरी को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी. माहेश्वरी ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत यूपी पुलिस की ओर से जारी नोटिस के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी.
Uttar Pradesh moves Supreme Court against Karnataka High Court protection order for #Twitter MD Maneesh Maheshwari in assault case. pic.twitter.com/ED9s7TeY8r
— Hindustan Times (@htTweets) June 29, 2021
जानकारी के अनुसार महेश्वरी के वकील ने तर्क दिया था कि केवल ट्विटर के एक कर्मचारी हैं इसलिए उन्हें कथित तौर पर इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी बताया कि जाँच अधिकारी ने 17 जून को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी किया था, लेकिन माहेश्वरी प्रबंध निदेशक नहीं हैं. जिसके बाद माहेश्वरी को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की गई और कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पुलिस पूछताछ के लिए पेश होने की अनुमति दी गई.
गौरतलब है कि इससे पहले ट्विटर इंडिया के अधिकारियों ने पुलिस को सूचित किया था कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूछताछ के लिए उपलब्ध होने को तैयार हैं दूसरे पुलिस ने सिरे से खारिज कर दिया था इस दौरान गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब के अलावा कॉन्ग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखक सबा नकवी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
बता दें कि देश भर में वायरल हुए उस वीडियो में सैफी ने कथित तौर पर कहा था कि उन पर कुछ युवकों ने हमला किया और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर किया. लेकिन पुलिस प्रशासन के मुताबिक घटना के दो दिन बाद सात जून को दर्ज अपनी प्राथमिकी में उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा. 15 जून को दर्ज प्राथमिकी में कहा गया था कि गाजियाबाद पुलिस ने घटना के तथ्यों के साथ एक बयान जारी किया था. लेकिन इसके बावजूद आरोपितों ने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो नहीं हटाया.